भगवान का दर्शन जीवन के किए गए समस्त सत्कर्मो का सर्वश्रेष्ठ फल है
प्रतिभा कालोनी, पतलोन मार्ग पर चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस कथावाचक भागवत किंकर पं कृष्णकांत जी शास्त्री ने पितामह भीष्म की कथा बतलाते हुये उनके अंतिम पडाव की कथा कही महात्मा भीष्म ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर भगवान के दर्शन करते हुए अपने जीवन को सार्थक किया अंतिम समय में भगवान का दर्शन जीवन के किए गए समस्त सत्कर्मो का सर्वश्रेष्ठ फल है ।
प्रतिभा कालोनी, पतलोन मार्ग पर चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस कथावाचक भागवत किंकर पं कृष्णकांत जी शास्त्री ने पितामह भीष्म की कथा बतलाते हुये उनके अंतिम पडाव की कथा कही श्री शास्त्री ने कहा महात्मा भीष्म ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर भगवान के दर्शन करते हुए अपने जीवन को सार्थक किया अंतिम समय में भगवान का दर्शन जीवन के किए गए समस्त सत्कर्मो का सर्वश्रेष्ठ फल है ।
परीक्षित जी महाराज को सात दिनों में तक्षक नाग के दंश से देहपात का श्राप लगा और राजा अपनी समस्त सम्पत्ति को तिनके की तरह त्याग कर गंगा किनारे पर आए जहाँ शुकदेव जी साक्षात गुरु के रूप में प्रकट हुए जीवन पथ पर सच्चे सद्गुरूदेव की प्राप्ति जीवन के उन्नति पथ को प्रकाशित करती है जीव की निष्ठा जितनी गुरु के प्रति होती उसका उतनी ही तीव्रता से भक्ति और ज्ञान का अधिकारी बनता है
परीक्षित ने शुकदेव से निवेदन किया कि मरण धर्मा जीव को उद्धार के लिए क्या करना चाहिए तो शुकदेव जी ने भगवान के नाम का कीर्तन ही भावसागर से मुक्ति का सहज साधन बताया है वर्तमान समय में हमारे जीवन में बहुत व्यस्तता है तो इस तो इस समय में भी सहजता से किसी भी समय अवस्था में भगवान का कीर्तन नाम गान करके भक्ति करी जा सकती है,आज कथा में रामावतार एवं अन्य कथाओं को शास्त्री ने बडे सरल एवं रसमयी वाणी से सभी को रसावोर किया।श्रीमदभागवत कथा में बडीसंख्या में श्रद्धालु अपनी उपस्थिति देकर पुण्य लाभ ले रहे हैं।