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संगीतमय व भक्तिमय माहौल में हुई कलश स्थापना

locationनरसिंहपुरPublished: Jul 15, 2019 02:53:52 pm

Submitted by:

Amit Sharma

संगीतमय व भक्तिमय माहौल में हुई कलश स्थापना

Establishment of a urn in a musical and devotional environment

Establishment of a urn in a musical and devotional environment

संगीतमय व भक्तिमय माहौल में हुई कलश स्थापना
जैन मंदिर प्रांगण सुभाष मैदान में किया गया आयोजन, बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

नरङ्क्षसहपुर. संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के परम पूज्य शिष्य मुनिश्री विमलसागर जी महाराज की ससंघ कलश स्थापना का आयोजन का करेली में किया गया है। रविवार को मुनि श्री की ससंघ चातुर्मास कलश स्थापना का भव्य आयोजन जैन मंदिर प्रांगण सुभाष मैदान में किया गया। इस महोत्सव के साक्षी बनने मण्डला, शहपुरा, गौरझामर, दमोह, सागर, झांसी, जबलपुर, देवरी, छिंदवाड़ा, गाडरवारा, नरसिंहपुर, गोटेगांव सहित आमगांव सहित दूर-दूर से भक्त गण यहां पहुंचे। कलश स्थापना महोत्सव में मुख्य कलशों की औपचारिक स्थापना हुई जिसकी विधि विधान से स्थापना सोमवार सुबह होगी। कार्यक्रम का निर्देशन बाल ब्रह्मचारी विनय बंडा ने किया। इसके पहले मंगल कलश शोभायात्रा का नगर भ्रमण हुआ। इसके बाद मंगलाचरण, आचार्य श्री का चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र अर्पण, श्रीफल अर्पण व मुनि श्री की मंगल धर्मसभा का आयोजन किया गया। संगीतमय व भक्तिमय माहौल में सम्पन्न हुई कलश स्थापना के साथ मुनि श्री की दिव्य मंगल वाणी का लाभ भी श्रद्धालुओं को मिला।
मुनिश्री विमल सागर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी साधना के लिए चातुर्मास जंगलों में अहम होते हैं पर भक्तों की भावना को देखते हुये चातुर्मास किया जा रहा है। गुरु जी भावना है कि यहां भगवान महावीर स्वामी का भव्य जिनालय बने जिसके लिए यहां चातुर्मास किया जा रहा है। महाराजश्री ने चातुर्मास की महत्वता को बताते हुए कहा कि करेलीवासी बहुत पुण्यशाली हैं। अगर सबकी ऐसी ही श्रद्धा रहेगी तो आचार्य भगवान स्वयं भी जल्द नगर में चातुर्मास करेंगे। उन्होंने कहा कि दान की शुरुआत करने वाला अनुकूलता से सिर्फ ऊपर ही ऊपर जाने के लिये अपना रास्ता बनाता है। चातुर्मास एक पूजा है जिसका प्रसाद सबको खाना चाहिए। यह वह पुण्य का प्रसाद है, जिसका स्वाद सबसे अच्छा होता है । युवाओं का जोश, वृद्धों का होश और महिलाओं, बालिकाओं का सोर्स जितना पक्का होगा, चातुर्मास और जैन धर्म का जयघोष उतना ही बड़ा होगा
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