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इस स्कूल के बच्चे खुद साफ करते हैं मध्यान्ह भोजन की अपनी थाली

locationनरसिंहपुरPublished: Feb 12, 2019 09:13:21 pm

Submitted by:

abishankar nagaich

बच्चों को हर काम में आत्मनिर्भर बनने की दी जा रही है शिक्षा

mid day meal

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नरसिंहपुर. गुरुकुल पद्धति में बच्चों को खुद अपना कार्य करने की शिक्षा दी जाती थी। यहां के एक सरकारी स्कूल के बच्चे अपना काम खुद करने और स्वावलंबी बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित शासकीय प्राइमरी स्कूल अंडिया के बच्चे अपने मध्यान्ह भोजन की थालियां खुद धोते हैं। इस काम के लिए उन्हें स्कूल प्रबंधन ने मजबूर नहीं किया बल्कि खुशी खुशी वे ऐसा कर रहे हैं।

केवट बाहुल्य गांव अंडिया में स्थित प्राइमरी स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक ४६ बच्चे अध्ययनरत हैं। मध्यान्ह भोजन करने के बाद ये बच्चे अपनी थाली खुद अपने हाथों मेें लेकर स्कूल परिसर में लगे हैंडपंप पर जाते हैं और उसे धो डालते हैं। शिक्षक अंचल शर्मा ने बताया कि भोजन कराने वाले समूह द्वारा बच्चों के बर्तन धोने की व्यवस्था की गई है पर बच्चे खुद एक बार पानी डाल कर अपनी थाली साफ करते हैं। जिसके बाद समूह द्वारा अच्छे से थाली धोई जाती है। शर्मा का कहना है कि बच्चों में यह आदत इसलिए डाली गई है ताकि उन्हें अपना काम करने में शर्म महसूस न हो। बच्चे जब बड़े होकर बाहर पढऩे जाते हैं तो खुद अपना काम करने की आदत उनके लिए सहायक होती है।

कन्या माध्यमिक शाला बौछार की छात्राएं स्कूल लगने पहले करती है परिसर की सफाई
शासकीय कन्या माध्यमिक शाला बौछार की छात्राएं अपने स्कूल की स्वच्छता के लिए बेहद सजग रहती हैं। स्कूल के प्रत्यूष पर्यावरण दल द्वारा हर रोज स्कूल शुरू होने से पहले ही परिसर की सफाई की जाती है ताकि साफ सुथरे वातावरण में पढ़ाई हो सके। विद्यालय की बाल कैबिनेट की पर्यावरण मंत्री एवं इको क्लब की छात्रा प्रभारी चन्दा यादव अपने साथियों के साथ शाला लगने के पूर्व परिसर की साफ. सफाई करती हंै। बाल केबिनेट की शिक्षा मंत्री रोशनी साहू, प्रधानमंत्री खुशबु मेहरा व इको क्लब की छात्राओं ने बताया कि वे विद्यालय को सुसज्जित बनाने प्रार्थना स्थल पर वैयक्तिक स्वच्छता पर ध्यान देती हैं। स्कूल में जूते चप्पल को व्यवस्थित रखने मध्याह्न भोजन के पूर्व हाथ धुलाई, बर्तनों की स्वच्छता आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। ईको क्लब ने कचरे के संग्रहण के लिए नीले व हरे रंग के कचरादान पुरानी बाल्टियों से तैयार किए हैं। कबाड़ से जुगाड़ फार्मूले का पालन कर छात्रा रोशनी ठाकुर एवं दशोदा ठाकुर द्वारा पुराने कागज कार्ड आदि से फूल व गुलदस्ते बनाने की कला अन्य छात्राओं को सिखाती हैं।
संस्था प्रमुख आनन्द नेमा ने बताया कि शनिवार की बालसभा में व प्रतिदिन प्रार्थना सभा में छात्राओं से स्वच्छता व पर्यावरणीय सुरक्षा के बारे में चर्चा कर उन्हें प्रदूषण के दुष्प्रभाव की जानकारी देते हैं। अब इसका परिणाम यह है कि छात्राएं घर में भी स्वच्छ जीवन शैली को अपनाने लगी हैं, वहीं अभिभावक भी हमें इस कार्य में सहयोग करने लगे हैं। नेमा ने बताया कि इस विद्यालय को पॉलीथिन मुक्त बनाने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं।

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