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अन्नदाता फसल को लेकर फिर परेशान

locationनागदाPublished: Sep 15, 2018 01:22:38 am

Submitted by:

Lalit Saxena

बारिश की खेंच बीमार कर रही सोयाबीन फसल

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नागदा. विकासखंडनागदा-खाचरौद के किसानों की परेशानियां समाप्त होने का नाम नहीं ले रही। बारिश की खेंच के कारण सोयाबीन फसलें पीली पड़ प्रभावित होने लगी है। इतना ही नहीं बारिश की अनियमिता ने किसानों की फसलों को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है। विकासखंड के ग्राम रोहलकलां, रतन्याखेड़ी, भगतपुरी समेत एक दर्जन गांवों की बात करें तो फसलों पर पीली मोजेक का प्रभाव आसानी से देखा जा सकता है। कृषकों का तर्क है, कि बारिश की अनियमिता ने फसलों को बीमारियों की चपेट में ढकेल दिया है। दूसरी ओर कृषि विभाग के अफसरों का कहना है, कि प्रभावित हुई फसलों की सुरक्षा के लिए किसानों को कम नमी वाले स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में सिंचाई किए जाने की आवश्यकता है। दूसरी ओर पीली मोजेेक के चपेट में आ चुकी फसलों की पत्तियों को उखाडऩे से बची हुईफसलों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इधर सीएम को सौंपेंगे ज्ञापन
ग्राम पिपलौदा स्थित चंबल के डेम की ऊंचाई बढ़ाए जाने से किसानों की फसले प्रभावित हो रही है। मामले में आक्रोशित ग्रामीणों का समूह सीएम को एक ज्ञापन सौंप फसलों के प्रभावित होने का उल्लेख करेगा। ग्रामीणों का तर्क है, कि मामले की शिकायत राजस्व अधिकारियों को की गई थी, लेकिन अफसरों द्वारा मनमाना सर्वे कर खानापूर्ति कर दी गई। ग्रामीण नारायणसिंह डोडिया की अगुवाई में ज्ञापन सौंपेगे। विरोध जताते वालों में संग्राम सिंह, दलपत सिंह, भंवरसिंह, रामसिंह, दशरथ सिंह, जुझार सिंह आदि शामिल हैं।
क्या है परेशानी
दरअसल क्षेत्र में अब तक कुल २१ इंच बारिश दर्ज हुई है। उक्त मात्रा में बारिश होना विकासखंड के लिए काफी कम है। क्षेत्र को करीब ३० इंच से अधिक बारिश की आवश्यकता होती है। परेशानी यह है, कि क्षेत्र में मानसून की बारिश तो हुई, लेकिन पर्याप्त मात्रा में नहीं हो सकी। जिसके कारण फसलों पर बीमारियों का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है। बता दें, कि बीते दिनों भारतीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र इंदौर के अफसरों ने क्षेत्र का दौरा किया था। उन्हेल के १२ गांव व खाचरौद के ५ गांवों में एंथ्रेक्नोज नामक बीमारी का प्रकोप बताया था। उक्त बीमारी सोयाबीन फसलों को पीला कर उन्हें मृत कर रही है। बीमारी उन क्षेत्रों में फैली है, जहां पर अनियमित हुई। ऐसे में खेतों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी नहीं मिल सकी। लिहाजा फसल पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर चौपट हो गई। कृषि विभाग खाचरौद के सीनियर डेवल्पमेंट एग्रीकल्चर ऑफिसर केएस मालवीय का तर्क है, कि एंथ्रेक्नोज बीमारी विकासखंड में पहली बार देखने को मिल रही है।
ऐसे करें बचाव
यह बात सही है, कि बीते दिनों एंथ्रेक्नोज नामक बीमारी क्षेत्र में पाई गई थी। बीमारी से से बचाव के लिए किसानों को थायोफिनाईट मिथाइल (एक किग्रा प्रति हेक्टेयर), टेबूकोनाझोल (६२५ मिली प्रति हेक्टेयर), टेबूकोनाझोल के साथ सल्फर (एक लीटर प्रतिहेक्टर) को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। वहीं वर्तमान में पानी की कमी के चलते फसलों में पीलापन देखा जा रहा है।
केएस मालवीय, सीनियर डेवल्पमेंट एग्रीकल्चर ऑफिसर

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