उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अधिकतर सडक़ हादसे नाबालिग व वाहन चालकों द्वारा नियमों के विपरीत वाहन चलाने से होते हैं। इनको रोकने के लिए पुलिस भी खुद को असहाय समझती है।
हाई-वे पर नाकाबंदी कर रहे एक पुलिस वाले ने एक सच्ची घटना का जिक्र करते हुए बताया कि गत दिवस एक युवक तेज गति से दुपहिया वाहन पर जा रहा था। पुलिस वाले ने हाथ देकर रोकने का इशारा किया तो ***** ब्रेक लगाकर पुलिस वाले के बिल्कुल पास आकर बाइक को रोका। खाकी वर्दी का खौफ तो उसके चेहरे पर नहीं था और झट से बोला मेरे पापा कस्बे के जाने-माने और ऊंची पहुंच वाले हैं। पुलिस वाले ने उसे हेलमेट पहनकर गाड़ी चलाने की नसीहत दी और जाने को कहा। दरअसल ऐसी स्थिति हर रोज देखने को मिलती है। जब लोग अपनी ऊंची पहुंच, पद आदि का इस्तेमाल कर पुलिस वालों की कार्रवाई से बच जाते हैं, लेकिन उनका कभी न कभी मौत से सामना जरूर होता है।
हादसों की वजह अभिभावक भी
सडक़ हादसों में एक बड़ी वजह कुछ हद तक उनके अभिभावक भी है। अपने बच्चों को हाई सीसी दुपहिया वाहन खरीद देते हैं जो बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित होते हैं। स्थानीय ऑटो डीलर सुरेन्द्रङ्क्षसह जोधा मानते हैं कि युवाओं में महंगी बाइक खरीदने का के्रज ज्यादा बढ़ा है। नशा सेवन करके वाहन चलाने वालों की भी कमी नहीं है। नशे के आगोश में घिर कर वाहन चलाने वाले खुद तो असुरक्षित है ही दूसरों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहे हैं।
नियमों की दे रहे नसीहत
इन दिनों पुलिस द्वारा सडक़ सुरक्षा सप्ताह अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत कस्बे के प्रमुख चौराहों, मुख्य मार्गों व मेगा हाइवे पर नाकाबंदी कर बिना हेल्मेट पहने दुपहिया वाहन चालकों रोककर उन्हें बाजार से हेल्मेट खरीदने को बोला जा रहा है। वहीं दूसरी और चौहिया वाहन चलाने वाले लोग सीट बेल्ट का प्रयोग नहींं करते है। हां अगर पुलिस की गाड़ी या पुलिस वाला सामने रोड पर दिख जाए तो फटाक से बेल्ट चिपका लेते है। यह प्रवृति कभी जानलेवा साबित हो सकती है।
नियमों का करें पालन
मौलासर थानाधिकारी पांचूराम का कहना है कि यातायात नियमों का पालन कर ही हादसों को रोका जा सकता है। यह केवल पुलिस का ही काम नहीं है। समाजसेवी संगठनों व लोगों को भी पहल करनी होगी।