प्रभारी मंत्री बिश्नोई ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने प्रत्येक पेड़ को देवी-देताओं से जोड़ा, ताकि उनका संरक्षण हो। उन्होंने पीपल व खेजड़ी के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि ये ऐसे पेड़ हैं, जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं तथा खेजड़ी के नीचे फसल भी हो जाती है, जबकि दूसरे पेड़ों के नीचे नहीं होती। उन्होंने पुराना समय याद दिलाते हुए कहा कि खेजड़ी की पत्तियों व छाल के सहारे हमारे बुजुर्गों ने अकाल निकाल लिया। उन्होंने कहा कि पेड़ का महत्व तब पता चलता है, जब हम भुगतते हैं।
नागौर विधायक मोहनराम चौधरी ने मंत्री बिश्नोई को संबोधित करते हुए कहा कि वे वन विभाग वालों का थोड़ा मार्गदर्शन करें। जिले में ज्यादातर स्थानों पर इन्होंने बबूल और झाडिय़ां लगा दी, जिनके आसपास न तो घास उगती है और न ही उनसे छाया मिलती है। पौधे ही लगाने हैं तो ऐसे लगाने चाहिए, जिससे अच्छी लकड़ी, छाया, फल आदि मिले। विधायक ने राजस्थान पत्रिका की ओर से शहर में तालाबों की सफाई व सौंदर्यकरण को लेकर चलाए गए अभियान एवं हरियाळो राजस्थान की सराहना करते हुए कहा कि इससे लोगों में जागरुकता आई है।
पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू ने मंत्री बिश्नोई को ज्ञापन सौंपकर जिले में पर्यावरण संरक्षण एवं वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए जिले में एक उडऩदस्ता चौकी स्थापित करने की मांग की। भाम्भू ने बताया कि जिले में हरिण शिकार, मोर शिकार सहित अन्य वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं काफी बड़ी संख्या में होने लगी हैं, जिनकी रोकथाम के लिए हथियारबद्ध उडऩ दस्ता व चौकी स्थापित की जाए, ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके। उन्होंने रोटू व गोगेलाव कंजर्वेशन क्षेत्र में धामण घास (सेवण घास) लगाने की मांग भी की।
वन महोत्सव कार्यक्रम में बीआर मिर्धा कॉलेज के एनसीसी प्रभारी प्रेमसिंह बुगासरा, मोहनराम सुथार, बाराणी सरपंच आशाराम, सरपंच नानकराम हुड्डा, पूर्व सरपंच अनोपचंद बिश्नोई, दुर्गसिंह उदावत, रेवंत घंटियाला, अमराराम, परसाराम, सिरामाराम, पुरखाराम, फुसाराम, जेठाराम, लिखमाराम, पेमारामख् सुखाराम, हरिराम, पन्नाराम, भादरराम, भंवरसिंह, गुमानाराम, मूलाराम सुथार, खेताराम, आशुराम, पूरबाराम, तुलछाराम, रामूराम, सोहनराम सहित थलांजू विकास समिति के सदस्य उपस्थित रहे। इस मौके पर सिंगड़ के चतुराराम ने 7100 रुपए का आर्थिक सहयोग भी दिया।