पंच मुखी बालाजी की भव्य प्रतिमा मंदिर में पंच मुखी बालाजी की भव्य प्रतिमा स्थापित है। अहिरावण जब भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक में ले गया था तब बालाजी ने पंचमुखी रूप धारण कर भगवान की रक्षा की थी। बालाजी का इस तरह का मंदिर राजस्थान में कम ही देखने को मिलता है हर महीने बालाजी की पोशाक बदलकर भव्य शृंगार किया जाता है। मोगरा के फूलों से झांकी सजाई जाती है। प्रतिष्ठा के समय से ही मन्दिर में अखण्ड दीप प्रज्वलित है। भक्त मंदिर में नारियल बांध कर मन्नत मांगते हैं।
पुजारी महंत मदनदास के अनुसार यहां चूरू जिले के आलसर गांव के निवासी संत संतोषदास तपस्या करते थे। यहां उनकी कुटिया बनी हुई थी। इस मंदिर में स्थापित बालाजी की प्रतिमा को एक साहूकार ने मकराना से मंगवाया था, जो बीकानेर में मंदिर स्थापना करने के लिए बैल गाड़ियों में ले जा रही थी। लेकिन विश्राम के बाद यात्री वापस जाने लगे तो बैलगाडि़यां आगे नहीं बढ़ी। बाद में सपने में मिले हनुमान जी के आदेश से संत और साहूकार ने खेतोलाव में बालाजी की प्रतिमा को स्थापित किया। संत संतोषदास ने अपने हाथों से सन् 1813 में यहां मूर्ति स्थापित कर कई वर्षों तक पूजा की । बालाजी मंदिर में वर्ष में दो बार वैशाख सुदी चतुर्थदशी- पूर्णिमा तथा कार्तिक सुदी चतुर्थदशी व पूर्णिमा को मेला भरता है । हनुमान जयंती व शरद पूर्णिमा पर भव्य जागरण होता है