यहां गुरुवार को मंदिरों से निकली रेवाडिय़ों से पूरा शहर आस्था के रंग में रंगा रहा। भजन-कीर्तन के साथ मंत्रोच्चार करते हुए भगवान की सवारी को लेकर चलते श्रद्धालुओं के जयघोषों से आसपास के वातावरण में भक्ति के स्वर गूंजते रहे। इस दौरान सडक़ के दोनों ओर खड़े श्रद्धालु भगवान के स्नानार्थ जाते हुए दृश्य देखकर श्रद्धा से अभिभूत रहे। आस्थावानों ने अपनी प्रार्थनाओं में भगवान के प्रति भक्ति का समर्पण करने के साथ ही खुशहाली की कामना की।
शहर के गिनाणी तालाब में जलझूलनी में विराजित भगवान व बख्तसागर तालाब के पास सारस्वत समाज की बगीची में स्नान करते हुए भगवान के दृश्य से पूरा वातावरण भक्तिमय रहा। गिनाणी तालाब के पास ही श्रद्धालुओं ने भगवान के लिए कृत्रिम तालाब बनाकर उसमें इक्यावन किलो पत्थर की कुण्डी में भगवान को मंत्रोच्चार कर विराजित किया गया। इसके पश्चात वहां पर सूर्यास्त होने तक ढोलक एवं मंजीरे की थाप पर भजन-कीर्तन होता रहा। विराजित भगवान को देखने के लिए गिनाणी तालाब के पास श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। भजनों के गूंजते स्वरों से भक्तों के चेहरे भक्ति रस से सराबोर रहे। प्रार्थना की मुद्रा में उठे सैंकड़ों हाथों ने ईश्वर से सुख-समृद्धि का वरदान मांगा।
बंशीवाला मंदिर, बाजवाड़ा स्थित रघुनाथ मंदिर, सदर बाजार स्थित कारखाना गली मंदिर, कुम्हारी दरवाजा स्थित रघुनाथ मंदिर, लोहियों का चौक सत्यनारायण मंदिर एवं दरावाड़ी दयाल का मंदिर से भगवान की रेवाणियां भजन-कीर्तन के साथ निकली। श्रद्धालु मंदिरों से भगवान की सवारियां लेकर बख्तासागर तालाब के निकट सारस्वत समाज की बगीची पहुंचे।
यहां पर भगवान को मंत्रोच्चार के साथ स्नान कराया गया। भगवान की सवारियां निकलने के दौरान सडक़ों के दोनों ओर खड़े भक्तों ने भगवान को आस्थाभाव से नमन किया। विभिन्न मंदिरों से आई रेवाडिय़ा और मंत्रों के गूंजते स्वर से बगीची का माहौल आस्थामय बना रहा। श्रद्धालुओं ने भगवान के स्नान के दृश्यों को मोबाइल में कैद किया।