scriptराज्य वृक्ष खेजड़ी दीमक की चपेट में, धराशायी हो रहे पेड़ | State tree in the grip of Kejdi termite, trees collapsing | Patrika News

राज्य वृक्ष खेजड़ी दीमक की चपेट में, धराशायी हो रहे पेड़

locationनागौरPublished: Oct 14, 2019 06:52:53 pm

Submitted by:

Pratap Singh Soni

अवैध कटाई भी है कारण

Chosla News

चौसला. के एक खेत में सूखा खेजड़ी का पेड़।

चौसला. कस्बे सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र में राज्य वृक्ष खेजड़ी के पेड़ धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं। पेड़ों को दीमक अपनी गिरफ्त में ले रही है। पिछले करीब 2-3 सालों से बढ़ रही इस बीमारी की रोकथाम के लिए विभागीय स्तर पर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जिस कारण आस-पास के खेतों में दीमक का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। पेड़ खोखले हो रहे और खत्म होते जा रहे हैं। खेजड़ी के पेड़ की जड़ों में कीट लगने से धीरे-धीरे खेजड़ी के पेड़ सूख रहे हैं, जिससे क्षेत्र में खेजड़ी के पेड़ लगातार कम होते जा रहे हैं। खेजड़ी रेगिस्तान का गौरव होने के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। देश के फाइव स्टार होटलों की थालियों में जगह बना चुकी मारवाड़ के मशहूर सांगरी पर अब संकट के बादल मंडराने लगे है। सरकार की उदासीनता और प्रशासन की अनदेखी के चलते इन पेड़ों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है।

राजस्थान का कल्पवृक्ष है खेजड़ी
खेजड़ी के पेड़ को थार का कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, इसे 198 3 में राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया। इसे बचाने के लिए विश्व की सबसे बड़ी कुर्बानी दी गई। खेजड़ी एक ऐसा वृक्ष है जिसमें लू के थपेड़ों, वर्षा की कमी व आंधियां को सह लेने की क्षमता है। भीषण गर्मी व कम पानी में लहलहाने के कारण हजारों सालों से अकाल के समय पशुओं के लिए खेजड़ी का पेड जीवनदायिनी रहा है।सांगरी लोगों के लिए अमृत तुल्य है तो पशुओं के लिए पत्ते सर्वोत्तम आहार है। लेकिन अब दीमक की चपेट में आने के कारण खेजड़ी अपने अस्तित्व को बचाने लिए जूझ रही है।

तोरणद्वार पर लाते हैं खेजड़ी
आचार्य कैलाशचन्द शर्मा ने बताया कि खेजड़ी का धार्मिक महत्व बहुत है। इसके सूखे छिलकों को यज्ञ में काम लिया जाता है तथा खेजड़ी की डाली को शादी के समय तोरणद्वार पर लानी की भी रस्म है। कई जगह इसकी पूजा अर्चना भी की जाती है। सरकार व प्रशासन को इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए।

अवैध कटाई भी है कारण
खेजड़ी के धीरे-धीरे लुप्त होने का कारण दीमक लगने के साथ स्वार्थी लोग भी है। जो इन पेड़ों को काट रहे है। बनगढ गोचर भूमि में अवैध रुप से खेजड़ी के पेड़ की छंगाई की जा रही है तथा कई पेड़ों को रात-बिरात पार भी किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि पहले खेतों में इतने अधिक खेजड़ी के पेड़ होते थे कि सीधे हल चलाना मुश्किल होता था और आज गिने-चुने पेड़ बचे है, जो दीमक का शिकार हो रहे है इन्हें बचाना जरूरी है।

इनका कहना है
ये समस्या पिछले 8 -10 साल से चल रही है इसका कीड़ा 3 मीटर गहराई तक जड़ों की छाल को खा जाता है दवा डालने पर कीड़ा मरता नहीं और नीचे चला जाता है। दिल्ली से टीम आई थी और विभाग ने सैंपल भी लिया था।
भंवरलाल बाजिया, सहायक निदेशक कृषि विस्तार कुचामन

 

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