रोडवेज कर्मियों ने धरना दिए जाने के साथ ही सातवें वेतनमान सहित विभिन्न मांगों का े लेकर हड़ताल का एलान कर दिया है।
नागौर•Sep 17, 2018 / 11:51 am•
Sharad Shukla
Roadways stoped from midnight
नागौर. राजस्थान राज्य रोडवेज संयुक्त मोर्चा की ओर से एरियर, मंहगाई भत्ता बकाया को लेकर रविवार को केन्द्रीय बस स्टैंड परिसर में धरने पर बैठ गए। कर्मचारी ने नेताओं ने ऐलान किया है कि सरकार मांगे नहीं मानती है तो फिर रविवार रात्रि 12 बजे से 24 घंटे का चक्काजाम होगा। इसके बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो फिर चक्काजाम की समयावधि बढ़ा दी जाएगी। यूनियनों की ओर से इस हड़ताल के दौरान यात्रियों को वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध कराने में राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के प्रबंधनतंत्र ने अपने हाथ खड़े कर लिए। नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर कहा कि उनके पास कर्मचारी ही नहीं तो फिर वैकल्पिक सुविधा वह क्या कर सकते हैं। इस हड़ताल में सभी शामिल हो गए हैं।
राजस्थान राज्य रोडवेज संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के प्रदेशव्यापी हड़ताल के आह्वान पर जिले के रोडवेज कर्मी रविवार को धरने पर बैठ गए। केन्द्रीय बस स्टैंड पर हुए धरने में तीन से चार यूनियनों के कर्मचारियों के साथ ही अवकाश प्राप्त कर्मी भी शामिल हो चुके हैं। दोपहर में हुई विरोध सभा में कर्मचारी नेताओं ने कहा कि गत 27 जुलाई को प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ प्रदेश संगठन के प्रतिनिधियों की हुई बातचीत में स्पष्ट तौर पर सरकार की ओर से सभी मांगों की पूर्ति के लिए लिखित में आश्वस्त किया गया। इसके बाद संगठन ने हड़ताल वापस ले ली थी। अब समझौता होने के माह भर बाद भी हालात पहले की तरह ही बने हुए हैं। रोडवेज कर्मचारी की एटक इकाई के अध्यक्ष हरीराम जाजड़ा ने कहा कि यह सरकार जनविरोधी सरकार है। इस बार लड़ाई अब आरपार की शुरू कर दी गई है। या तो सरकार उनकी मांगों की पूर्ति कर देगी, नहीं तो बिगड़े हालात की जिम्मेदार खुद प्रदेश सरकार की होगी। रोडवेज के संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने बताया कि प्रदेशव्यापी आह्वान के तहत रविवार को आधी रात से रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह से ठप कर दिया जाएगा। ़जिले के केन्द्रीय बस स्टैंड सहित मकराना, जायल, गोटन, मेड़ता, कुचामन एवं डीडवाना आदि क्षेत्रों में बसों का संचालन पूरी तरह से बंद रहेगा। एक भी चालक बसों का न तो संचालन करेगा, और नही परिचालक
बिगड़ेंगे हालात
रोडवेज कर्मियों की हड़ताल के कारण अकेले नागौर आगार में बसों संचालन ठप हुआ तो 11 लाख से 12 लाख का राजस्व घाटा होगा। इस तरह से जिले भर का आंकड़ां जोडऩे पर यह राजस्व घाटा राशि लाखों में पहुंच जाएगी। दो से तीन दिन हड़ताल हुई तो आंकड़ां करोड़ों में पहुंच जाएगा। इस दौरान यात्रियों को भी अपने गंतव्यों तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किल होगी। विशेषकर दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिक एवं स्वतंत्रा सेनानी एवं विद्यार्थियों को केवल रोडवेज ही पासकार्ड या फिर शुल्क में छूट दिए जाने के साथ नि:शुल्क यात्रा का लाभ देती है। इस संबंध में रोडवेज प्रबंधन के अधिकारियों से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि हड़ताल अवधि में यात्रियों को वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संसाधन ही नहीं हैं तो फिर व्यवस्था क्या, और कहां से करें। सभी कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं तो फिर बस तो चालक चलाएगा नहीं।