नागौरPublished: Sep 20, 2018 12:36:17 pm
Sharad Shukla
तीसरे दिन भी नहीं चली रोडवेज बसें
Where did it come from so many cars …
नागौर. राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसें तीसरे दिन बुधवार को भी सडक़ों पर नहीं चली। जिले के आगार सहित जायल, मकराना, डीडवाना, मेड़ता एवं रियाबड़ी क्षेत्र में बुकिंग विंडों के बंद रहने एवं बसों के खड़ी रहने के कारण सन्नाटे की स्थिति बनी रही। अकेले नागौर आगार के राजस्व घाटे का आंकड़ा करीब 36 लाख जा पहुंचा है। जिले भर में डीडवाना एवं अन्य क्षेत्रों की रोजाना होने वाली राजस्व राशि के घाटे का आंकड़ों अब करोड़ों में जा पहुंचा है। रोडवेज बसों के चक्काजाम की हड़ताल एवं सरकार के बीच फंसे आम आदमी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का मानना है कि निजी बसों की यात्रा में जोखिम होने के साथ ही रोडवेज सरीखी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती है। जिले के आगार में मंगलवार को भी वर्कशॉप से बसें बाहर नहीं निकली। राजस्थान राज्य कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के प्रदर्शन की आवाजें ही केन्द्रीय बस स्टैंड परिसर में गूंजती रही। केन्द्रीय बस स्टैंड में बसों के नहीं चलने के कारण पूरे परिसर में सन्नाटे की स्थिति बनी रही। भूले-भटके आने वाले यात्री प्रशासन एवं शासन को कोसते नजर आए। गुजरात से जयपुर पहुंचे, और वहां से प्राइवेट बस से नागौर आए रामसुमेमर प्रशासन को लेकर काफी खिन्न रहे। उनका कहना था कि हड़ताल एवं कर्मचारियों की मांगों के बीच आम को क्यों मुश्किलें झेलनी पड़ रही है। प्राइवेट बसों की अधाधुंध तेजी, और पैसा लेने के बाद भी टिकट नहीं दिए जाने के रवैए के बीच यात्रा करने में आने वाली मुश्किलों का अंदाजा एक यात्री ही लगा सकता है। गोटन से राजकीय अस्पताल आए भंवरलाल का कहना था कि वह तो जीप से यहां तक आ गए, सोचा कि नागौर से बस मिल जाएगी। यहां बस स्टैंड पर आए तो पूरा स्टैंड ही खाली मिला। बुकिंग विंडो भी पूरी तरह से बंद मिली। अब प्राइवेट से जाना पड़ेगा, लेकिन प्राइवेट वाहन तो गांव से दूर ही उतार देते हैं। प्राइवेट वाहन निर्धारित बुकिंग विंडों पर उतारते ही नहीं हैं। परबतसर से किसी काम से यहां आई कमला ने बताया कि वह तो यहां पर सुबह 11 बजे आई प्राइवेट बस से। बस में उसे सीट तो नहीं मिली, बल्कि पूरे समय खड़े होकर यात्रा करनी पड़ी। अब यहां पर फिर से उसे प्राइवेट वाहन से ही परबतसर जाना पड़ेगा। प्राइवेट वाले किराया भी मनमर्जी का लेने लगे हैं। इस संबंध में मूण्डवा चौराहा से लेकर विजयबल्लभ चौक तक का जायजा लिए जाने पर दर्जनों खड़ी प्राइवेट बसों में सवार होते परेशान यात्रियों के चेहरे ही नजर आ रहे थे। डेह रोड पर बस स्टैंड के निकट ही चार बसें खड़ी मिली। चारों ही बसों के अंदर एवं बाहर छतों तक पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी जान-जोखिम में डालकर यात्रा करती नजर आई। हालात इतने विकट, परेशान यात्रियों के बीच, सरकार विरोधी धरना प्रदर्शनों में आम जन की सुविधा कहीं गायब नजर आई। राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी मोर्चा में आंदोलन में शामिल एटक अध्यक्ष हरीराम जाजड़ा ने बुधवार को कर्मचारियों के साथ केन्द्रीय बस स्टैंड में हुई बैठक में कहा कि इस बार जब तक कर्मचारियों की मांगों की पूर्ति नहीं हो जाती है। यह हड़ताल जारी रहेगी। हालांकि आंदोलन को तोडऩे के लिए सरकार की ओर से किए प्रयास नाकाम सिद्ध होंगे। बसें अब तबतक नहीं चलेंगी, जबतक उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाता है। रोडवेज रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मणदान कविया ने परिवहन मंत्री पर हड़तलाल के संदर्भ में भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आंदोलन न्यायोचित है। इसे गलत ठहराए जाने के समस्त प्रयास बेकार जाएंगे।