पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार राज्य की पिछली भाजपा सरकार ने जाते-जाते चुनावी वर्ष में चार गुना टेंडर निकाल दिए। सरकार को पीडब्ल्यूडी के माध्यम से करीब एक हजार करोड़ के कार्य करवाने थे, लेकिन जनता की वाहवाही लूटने के लिए चार हजार करोड़ रुपए के टेंडर निकालकर कार्य करवा दिए। चुनाव में सत्ता परिवर्तन होने पर सरकार का खजाना खाली हो गया, ऐसे में कुछ तो आधे-अधूरे काम चालू रहे, इसके बाद सरकार ने मार्च माह में स्पष्ट रूप से आदेश निकालकर काम बंद करवा दिए। ठेकेदारों का कहना है कि सरकार बदलने के बाद केवल वही काम हुए जो ठेकेदारों ने अपने स्तर पर किए।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर है। केवल पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों का ही नहीं, बल्कि अन्य विभागों का भी भुगतान लम्बे समय से अटका हुआ है। मनरेगा का भुगतान केन्द्र सरकार द्वारा जारी करने के बावजूद राज्य सरकार रोककर बैठी है, जबकि केन्द्र सरकार के आदेश में स्पष्ट लिखा हुआ है कि तीन दिन में भुगतान किया जाना है। इसी प्रकार सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा किसानों को मई-जून में दिया जाने वाला अल्पकालीन ऋण सितम्बर माह आने के बावजूद वितरित नहीं किया जा सका है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग के ठेकेदारों का भुगतान पिछले काफी समय से नहीं किया जा रहा है। गत दीपावली के बाद सडक़ों का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे ठेकेदारों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। भुगतान के लिए सरकार से कई बार आग्रह कर चुके हैं, अब 16 सितम्बर से जयपुर में धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।
– भूराराम चौधरी, पीडब्ल्यूडी ठेकेदार, नागौर
नागौर वृत्त में पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों के करीब 35 करोड़ रुपए बकाया हैं, जिसका भुगतान राज्य सरकार से बजट मिलने के बाद ही किया जाएगा। नए कार्यों की स्वीकृति अभी नहीं दी जा रही है।
– एनएस चौधरी, अधीक्षण अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, नागौर