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नागौर शिक्षा विभाग ने अधिकारियों ने ही कर काउंसिलिंग में गड़बड़ी

locationनागौरPublished: Sep 19, 2018 12:09:24 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक शिक्षा के थर्ड ग्रेड के 145 शिक्षकों की मंगलवार को करा ली काउंसलिंग, हांफते, थके-परेशान हाल बमुश्किल पहुंचे शिक्षक, अव्यवस्थाओं ने भी किया परेशान

Nagaur patrika

Nagaur Education Department officials only complained of tax counselin

नागौर. बिना किसी सूचना के अचानक हुई काउंसलिंग से शिक्षक मंगलवार को हैरान-परेशान रहे। बमुश्किल किसी से काउंसलिंग होने की सूचना मिली तो वह चले आए, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने एक भी शिक्षक को अधिकृत जानकारी नहीं दी। नतीजन येन-प्रकरेण किसी तरह काउंसिलिंग में पहुंचे शिक्षक शिक्षा विभाग को कोसते रहे। हालांकि तमाम परेशानियों के बीच कुल 145 शिक्षकोंके के काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी हुई। बुधवार को भी काउंसलिंग चलेगी, इसकी भी जानकारी विभाग के अधिकारियों की ओर से संबंधित शिक्षकों को नहीं दी गई है। शिक्षा विभाग के जानकारों का कहना है कि काउंसलिंग से संबंधित शिक्षकों को जानकारी पहुंचाए जाने का प्रावधान होने के बाद अधिकारियों की ओर से इस तरह का कोई कदम नहीं उठाए जाने से यह पूरी प्रक्रिया व इसमें शामिल किए शिक्षकों की सूची पर अब सवालिया निशान लगने लगा है।
शिक्षा विभाग के अनुसार काउंसलिंग किए जाने के प्रावधानों को खुद जिम्मेदारों ने ही ताक पर रख दिया है। मंगलवार को सामाजिक विज्ञान एवं विज्ञान की काउंसलिंगमें पहुंचे शिक्षकों का कहना था कि विभाग को काउंसलिंगकरानी थी तो फिर उन्हें इसकी अधिकृत सूचना क्यों नहीं दी गई। सूचना के अभाव में नहीं पहुंचने वाले शिक्षकों को विभाग के अधिकारियों की ओर से अपनी मनमर्जी के स्कूलों में लगाने की पुरानी परंपरा रही है। वर्तमान में भी अधिकारियों ने इसी का निर्वहन किया है। यही नहीं, सूची में भी वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए जूनियरों को प्राथमिकता दी गई। सूची तैयार करने एवं बनाने में हुई इस विसंगति के कारण कई वरिष्ठों को वरिष्ठता को नजरअंदाज किए जाने की चर्चा रही। वर्ष 2012 के शिक्षकों को वर्ष 2010 के शिक्षकों के ऊपर वरीयता देना विभाग के खुद के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन कर दिया गया। शिक्षकों का कहना है कि उनकी ओर से इस संबंध में मौखिक रूप से शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष आपत्ति भी दर्शाई गई, लेकिन इसे भी अनसुना कर दिया गया। इस बार हुई इस काउंसलिंग की पूरी प्रक्रिया में हुई गतिविधियों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली को अब संदेहों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। विभागीय जानकारों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों को बिना किसी सूचना के काउंसिलिंग कराना, और सूची में विसंगतियों केा जानबूझकर नजरअंदाज किए जाने के संदर्भ में अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए। आखिरकार प्रावधानों के पालना की दुहाई देने वाले खुद ही इसके खिलाफ काम करने लगे तो संदेह की स्थिति खुद-ब-खुद उत्पन्न होने लगती है। यह पूरी प्रक्रिया ही विभाग के कुछ अधिकारियों की मनमर्जी एवं चहेतों को उनके इच्छित स्थानों पर तैनानगी कराने से मंसूबा बताया जा रहा है।

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