नागौरPublished: Nov 17, 2018 07:30:13 pm
Anuj Chhangani
जेएलएन के निकट कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र में इस बार जीएम फोर की 16 हेक्टेयर में एवं जीएफ फाइव की 40 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी
कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत पर मूंग जीएम फाइव ने फेरा पानी
नागौर. कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र के वैज्ञानिकों की टीम के काफी प्रयास के बाद भी तिल, मूंग एवं बाजरा के अपेक्षित उत्पादन पर पानी फिर गया। नियमित देखभाल और वैज्ञानिक व्यवस्था के अनुसार मिट्टी उपचार करने के बाद भी तिल केवल दो क्विंटल, मूंग का औसतन 10 क्विंटल एवं बाजरा डेढ़ क्विंटल पर सिमटकर रह गया। केन्द्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें जीएम फोर का तो औसत उत्पादन हुआ है , लेकिन जीएम फाइव की प्रगति औसत से भी कम रही। इसमें विशेष कारण उचित मात्रा में बरसात का पानी नहीं मिलना रहा है। वैज्ञानित अन्य कारकों का अन्वेषण कर रहे हैं। ऐसे में उत्पादन के लिए केवल एक ही कारण को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता है। कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र में 40 से ज्यादा हेक्टेयर में मूंग की बुवाई की गई थी। इसमें जीएम फोर एवं जीएफ फाइव दोनों ही प्रकार के उन्नत बीजों की बुवाई की गई। बुवाई से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया के बीच बरसात नहीं होने से वैज्ञानकों की मेहनत पर काफी हद तक पानी फिर गया। उत्पादन के मामले में जीएम फाइव की स्थिति जीएम फोर से काफी निम्नतर रही। इसके कारणों पर अनुसंधान जारी है। उत्पादन वैज्ञानिक व्यवस्था के हिसाब से होता तो मूंग का औसत उत्पादन तकरीबन 300 प्रति हेक्टेयर क्विंटल तक होता। इसी तरह तिल का कम से कम 10 क्विंटल और बाजरा का 60 क्विंटल उत्पादन होता तो स्थिति काफी बेहतर रहती। वैज्ञानिकों ने बताया कि खरपतवार प्रबंधन, पोषण प्रबंधन, जल प्रबंधन का पूरी तरह से ध्यान रखने के बाद भी स्थिति बेहतर नहीं रही।