कोतवाली पुलिस ने बताया कि बीकानेर के कुदसू निवासी हाल नागौर के शास्त्री नगर कॉलोनी में रहने वाली गवरीदेवी पत्नी शिवराज विश्नोई रिपोर्ट देकर बताया कि उसका पति शिवराज मार्बल फिटिंग का कार्य करता है तथा नोएडा में रहता है। वह यहां होम गार्ड में सिपाही के पद पर नागौर में नौकरी करती है तथा बाल-बच्चों को पढ़ाती है।
गत 27 जून को दातारामगढ़ तहसील क्षेत्र के रूपगढ़ निवासी रामप्रकाश पुत्र पृथ्वीराज पारीक ने उसे बातों में फंसाकर धर्म भाई बना तथा फिर धर्म के भाई की हैसियत से घर आने-जाने लगा। उसने उसे विश्वास में लेकर मकान दिलाने का झांसा देकर 15 लाख रुपए का ऋण दिलाने तथा 10 लाख रुपए की व्यवस्था करने के लिए कहा। उसने असमर्थता जाहिर की तो पांच लाख की व्यवस्था भाई के नाते खुद करने तथा पांच लाख रुपए की व्यवस्था उसे करने के लिए कहा। परिवादिया ने बताया कि खुद का मकान होने की उम्मीद में उसने अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर पांच लाख रुपए की व्यवस्था की। गत 6 सितम्बर को उसका भाई गंगाविशन व प्रेमराख दो लाख रुपए लेकर आए व 3 लाख रुपए उसकी जमा पूंजी के थे, जो मिलाकर 5 लाख रामप्रकाश को दिए। इसके बाद वह रुपए मकान मालिक को देने का कहकर निकला, जो आज तक नहीं लौटा और अब फोन पर जवाब भी नहीं देता है।
गत 27 जून को दातारामगढ़ तहसील क्षेत्र के रूपगढ़ निवासी रामप्रकाश पुत्र पृथ्वीराज पारीक ने उसे बातों में फंसाकर धर्म भाई बना तथा फिर धर्म के भाई की हैसियत से घर आने-जाने लगा। उसने उसे विश्वास में लेकर मकान दिलाने का झांसा देकर 15 लाख रुपए का ऋण दिलाने तथा 10 लाख रुपए की व्यवस्था करने के लिए कहा। उसने असमर्थता जाहिर की तो पांच लाख की व्यवस्था भाई के नाते खुद करने तथा पांच लाख रुपए की व्यवस्था उसे करने के लिए कहा। परिवादिया ने बताया कि खुद का मकान होने की उम्मीद में उसने अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर पांच लाख रुपए की व्यवस्था की। गत 6 सितम्बर को उसका भाई गंगाविशन व प्रेमराख दो लाख रुपए लेकर आए व 3 लाख रुपए उसकी जमा पूंजी के थे, जो मिलाकर 5 लाख रामप्रकाश को दिए। इसके बाद वह रुपए मकान मालिक को देने का कहकर निकला, जो आज तक नहीं लौटा और अब फोन पर जवाब भी नहीं देता है।
तहकीकात की तो खुली पोल
परिवादिया ने बताया कि संदेश होने पर उन्होंने वह अपने रिश्तेदार के साथ रामप्रकाश के गांव गई तो पता चला कि रामप्रकाश तो अपने घर से 16 माह पूर्व ही गायब हो गया था, जिसका कोई अता पता नहीं है। इसके बाद उन्हें जानकारी मिली कि रामप्रकाश दो-दो महीने अलग-अलग जगह पर रहता है व अपने आप को कहीं डॉ. अतूल चौधरी होना बताता है, तो किसी को पुलिस अधिकारी, किसी को डी.एस.ओ. ऑफिस में रमेश नाम से नौकरी करना बताता है। किसी को बी.एस.एफ. में नौकरी करना बताता है। परिवादिया ने बताया कि जब उसके पास आया तो अपने आप को डॉ. अतूल चौधरी बताया व अपनी पोस्टिंग अजमेर विक्टोरिया अस्पताल में होना बताकर झांसे में लेकर ठगी की है। पूछताछ के बाद उन्हें पता चला कि अपने आप को अतूल चौधरी बताने वाला वास्तविक रूप से रामप्रकाश पारीक है। जिसने उसके साथ छलकपट, धोखाधड़ी कर अमानत में खयानत कर सदोष हानि पहुंचाई व अपने आप को सदोष लाभ पहुंचाने का अपराधिक कृत्य किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
परिवादिया ने बताया कि संदेश होने पर उन्होंने वह अपने रिश्तेदार के साथ रामप्रकाश के गांव गई तो पता चला कि रामप्रकाश तो अपने घर से 16 माह पूर्व ही गायब हो गया था, जिसका कोई अता पता नहीं है। इसके बाद उन्हें जानकारी मिली कि रामप्रकाश दो-दो महीने अलग-अलग जगह पर रहता है व अपने आप को कहीं डॉ. अतूल चौधरी होना बताता है, तो किसी को पुलिस अधिकारी, किसी को डी.एस.ओ. ऑफिस में रमेश नाम से नौकरी करना बताता है। किसी को बी.एस.एफ. में नौकरी करना बताता है। परिवादिया ने बताया कि जब उसके पास आया तो अपने आप को डॉ. अतूल चौधरी बताया व अपनी पोस्टिंग अजमेर विक्टोरिया अस्पताल में होना बताकर झांसे में लेकर ठगी की है। पूछताछ के बाद उन्हें पता चला कि अपने आप को अतूल चौधरी बताने वाला वास्तविक रूप से रामप्रकाश पारीक है। जिसने उसके साथ छलकपट, धोखाधड़ी कर अमानत में खयानत कर सदोष हानि पहुंचाई व अपने आप को सदोष लाभ पहुंचाने का अपराधिक कृत्य किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।