नागौरPublished: Sep 17, 2018 12:05:31 pm
Sharad Shukla
निदेशालय का आया फरमान, 30 सितंबर तक निजी शिक्षण संस्थानों में करेगी 1124 टीमें बच्चों के प्रवेशों की जांच, 30 के बाद विभागीय स्तर पर विभाग स्क्रीनिंग कर भेजेगा रिपोर्ट
Guinani school again operated in single innings
नागौर. जिले के एक हजार से अधिक निजी शिक्षण संस्थानों में आरटीई के तहत हुए प्रवेशों की जांच होगी। बच्चों के प्रवेशों की जांच प्रति स्कूल होगी। हर स्कूल के लिए अलग से टीमें गठित कर दी गई है। टीमों को 30 सितंबर तक रिपोर्ट किसी भी सूरत में देने के निर्देश हैं। इसके बाद फिर विभाग की ओर से इन रिपोर्टों की स्क्रीनिंग कर अंतिम रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में दिए गए दाखिलों का अब भौतिक सत्यापन होगा। शिक्षा विभाग दाखिलों के दस्तावेजों के साथ-साथ स्कूलों में जाकर बच्चों की उपस्थिति भी जांचेगा। इसके लिए 1124 कार्मिकों के निरीक्षण दल गठित किए गए हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निजी स्कूलों की ओर से विभाग की वेबसाइट पर आरटीई के तहत दी गई रिपोर्ट से मिलान किया जाएगा। स्कूलों में बच्चों की संख्या से मिलान के दौरान विरोधाभास पाए जाने पर स्कूल संचालक को बाकायदा संबंधित टीम को इसका कारण बताना पड़ेगा, क्योंकि दल की ओर से बनने वाली रिपोर्ट में यह भी तथ्य शामिल किया जाएगा कि स्कूल की ओर से दर्शाई गई संख्या एवं भौतिक सत्यापन के दौरान क्या स्थितियां रही।
इसका भी रखना पड़ेगा ध्यान
आरटीई के तहत सभी निजी स्कूलों को अपनी प्रारंभिक कक्षाओं में दिए गए कुल दाखिलों में से 25 फीसदी सीटों पर दुर्बल एवं अभाव ग्रस्त बच्चों को अनिवार्य प्रवेश देने का प्रावधान है। शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए विद्यालयों को एंट्री क्लास, शिक्षण का माध्यम, नि:शुल्क प्रवेश के लिए सीटों की संख्या भी अपडेट करनी थी। जबकि स्कूल छोड़ चुके बच्चों का लेखा-जोखा पोर्टल से हटाना था। जांच के दौरान इन बिंदुओं का प्रमुखता से ध्यान रखे जाने के निर्देश निदेशालय से मिले हैं।
इतनी स्कूलों की जांच के निर्देश
जिले भर में 1124 निजी संचालित निजी शिक्षण संस्थान जांच के दायरे में हैं। प्रारंभिक में 857 एवं माध्यमिक में 267 स्कूलें हैं। इनके आरटीई के तहत दिए गए दाखिलों का भौतिक सत्यापन करने के लिए शिक्षा विभाग के शिक्षकों एवं अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इनको साफ तौर पर बता दिया गया कि उनकी ओर से मिली रिपोर्ट पर विभागीय स्तर पर हुई जांच में तथ्यों में त्रुटि नहीं निकलनी चाहिए,नहीं तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित टीम की होगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल पर पूर्व के दौरान राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों की संख्या एवं नाम की स्थिति समान होने के साथ ही अन्य गड़बडिय़ां पकड़ी गई थी। यही नहीं, कइयों के आधार कार्ड तक सुव्यवस्थित नहीं मिले थे। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने ऐसे करीब डेढ़ हजार निजी शिक्षण संस्थानों से लिखित में स्पष्टीकरण भी मांगे थे। पूर्व के कड़वे अनुभव को ध्यान में रखते हुए निदेशालय ने कहा कि इस प्रकार की गड़बडिय़ों सहित अन्य विसंगतियों की जांच स्थानीय स्तर पर ही बेहतर तरीके से कर जाए तो बेहतर होगा, नहीं तो फिर इस बार कठोर कार्रवाई होगी। जांच में शिथिलता होने पर संबंधित जिले के जिला शिक्षाधिकारियों से भी स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।
इनका कहना…
&निजी स्कूलों में आरटीई के तहत हुए प्रवेशों के जांच के लिए टीमें गठित कर दी गई है। प्रारंभिक में कुल 857 स्कूलों की जांच के लिए इतनी टीम गठित की है।
रजिया सुल्ताना, प्रारंभिक जिला शिक्षाधिकारी नागौर
&निजी स्कूलों में जांच कर 30 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जांच को दिए जा चुके हैं।
ब्रह्माराम चौधरी, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक
नागौर