मोहर्रम पर निभाई रस्म। तारागढ़ पर शिया समुदाय के युवकों ने हजरत इमाम हुसैन की याद में ब्लेड व जंजीरों से खुद को लहूलुहान कर मातम किया। उन्होंने रक्त रंजित मंजर पेश कर हजरत इमाम हुसैन को खिराजे अकीदत पेश की। तारागढ़ पर शनिवार को मौलाना सफदर हुसैन नौगामी ने शहादत पर बयान किया। इस दौरान कर्बला का वाकयात सुनकर हर किसी की आंखू में आंसू आ गए।
तारागढ़ के खादिम सैयद हाफिज अली ने बताया कि यौमे आशुरा के दिन अली असगर के झूले की जियारत कराई गई। सुबह 6 बजे हताई चौक पर रवायत पढ़ी गई और मर्सियाख्वानी हुई। बाद में जुलजना शरीफ और अलम की जियारत कराई गई। इस दौरान युवकों और बड़ों ने मातम किया।
उन्होंने बताया कि ताजिया शरीफ का जुलूस हताई चौक से विभिन्न मार्गों से होता हुआ कर्बला शरीफ पहुंचा। वहां सलाम पढ़ा गया और ताजिया शरीफ को मदफन किया गया। तारागढ़ पर शनिवार को सभी दुकानें बंद रखी गई और खादिमों ने मेहमानों को जियारत नहीं कराई। शाम को शामे गरीबा की मजलिस हुई।