जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सीबीआई की नई जांच टीम गठित करने के औचित्य पर सवाल खड़े किए। अदालत ने कहा कि दूसरी जांच टीम गठित करने का कोई कारण नहीं नज़र आता। नई टीम से जांच प्रभावित हो सकती है। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपालन ने अदालत को बताया कि 30 जुलाई को ही सीबीआई ने जांच टीम गठित की थी। नहीं लगता कि नई टीम की कोई ज़रूरत है। इससे जांच की दिशा पर असर पड़ सकता है। अदालत ने पटना हाईकोर्ट को अगले आदेश तक कोई निर्णय स्थगित रखने को कहा है।
पटना हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को कई मर्तबा फटकार लगाई थी। सीबीआई जांच टीम के एसपी जेपी मिश्रा के तबादले पर नाराजगी प्रकट करते हुए हाईकोर्ट ने न्ई जांच टीम के गठन के आदेश दिए थे। अदालत ने 20 सितंबर तक नई टीम गठित कर लेने को कहा हुआ है। अब सुप्रीम कोर्ट इस पर 20 सितंबर को सुनवाई करते हुए अपनी गाइडलाइन जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट बीस सितंबर को सुनवाई करते हुए मामले की मिडिया कवरेज पर भी गाइडलाइंस जारी करेगा।
बता दें कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों के यौन शोषण और प्रताड़ना का सच टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज -टिस-की रिपोर्ट आने का बाद सामने आया। पुलिस जांच में मामले को दबाने की साजिश के आरोपों के बीच सीबीआई को जांच का जिम्मा राज्य सरकार ने देने का फैसला किया। सीबीआई तीस जुलाई से जांच करते हुए आगे बढ़ ही रही थी कि एसपी जेपी मिश्रा का तबादला कर दिया गया। जांच की निगरानी कर रही पटना हाई कोर्ट ने इस पर सीबीआई को फटकार लगाई और नई टीम गठन के निर्देश दिए। पटना हाईकोर्ट ने मीडिया कवरेज पर भी रोक लगा दी जिसके खिलाफ अलग से एक मामला सुप्रीम कोर्ट में मीडियाकर्मियों ने दर्ज़ करा रखा है।