अदालत ने कहा कि इतनी बड़ी वारदात हुई और सरकार ने समय पर सही एफआईआर भी दर्ज़ नहीं करवाई। यह किस तरह की जांच करवा रहे हैं आप? अदालत ने कहा कि जांच रिपोर्ट कह रही है कि बच्चियों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन धारा 377 के तहत मुकदमा तक दर्ज़ नहीं किया गया। यह बेहद अमानवीय और शर्मनाक है। मामले में हल्की धाराएं जोड़ी गईं। धारा 377 में भी मुकदमा दर्ज़ होना चाहिए। अदालत ने कहा कि राज्य के 17 शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं, पर सिर्फ मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में ही कैसे कार्रवाई की गई। ये बच्चे देश के बच्चे नहीं हैं क्या?
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने कहा, मैं जब भी मामले की फाइल देखता हूं,बेहद दुखी हो जाता हूं। राज्य सरकार से अदालत को बताया गया कि जल्दी ही सुधार करते हुए व्यवस्था सुधारेंगे। कहा गया कि सरकार को सूचना मिलते ही कार्रवाई की गई। बताया जाता है कि अदालत ने इस दौरान यह भी टिप्पणी की कि यदि हमें पता चलता है कि आईपीसी की धारा 377और पॉक्सो ऐक्ट के तहत जुर्म हुआ और इनमें एफआईआर नहीं दर्ज़ की गई, तो हम सरकार के खिलाफ आदेश जारी कर देंगे।