पॉक्सो कोर्ट के प्रभारी एडीजे-11 मनोज कुमार ने सुनवाई के दौरान आरोपित डॉक्टर अश्विनी कुमार ने अर्जी में कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह को संचालन के लिए 2013 से ही सरकार नियमित भुगतान करती आ रही है। उन्होंने सवाल उठाए कि बिना सरकार और प्रशासन की मिली-भगत के यह संभव नहीं है। बालिका गृह की रुटीन जांच में हमेशा क्लीन चिट दी जाती रही है। डॉक्टर अश्विनी ने वकील सुधीर कुमार ओझा के जरिए कार्ट में अर्जी दी है।
अर्जी में यह कहा गया
अर्जी में कहा गया कि सीबीआई जांच के दौरान तथ्यों को छिपाने की कोशिश की जाती रही, जिसमें तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अतुल प्रसाद और सीएम नीतीश कुमार की भूमिका की जांच होनी चाहिए। सात फरवरी को ही मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुजफ्फरपुर से दिल्ली पॉक्सो कोर्ट को स्थानांतरित किया गया है। अगले हफ्ते जांच की मांग पर सुनवाई शुरू हो सकती है। डॉक्टर अश्विनी कुमार बालिका गृह मामले के आरोपी हैं। गत वर्ष ही इन्हें गिरफ्तार किया गया था। बालिका गृह की बच्चियों के यौन शोषण से पूर्व उन्हें बेहोशी के इंजेक्शन देने के गंभीर आरोप डॉ अश्विनी कुमार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच की निगरानी कर रही है।अ दालत ने पिछले दिनों बिहार सरकार और सीबीआई को फटकार लगाने के साथ ही जवाब-तलब भी किया था।