दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय किसान यूनियन दो खेमो में बंटी दिखाई दी। जिसमें एक पक्ष रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह तो दूसरा पक्ष
मुजफ्फरनगर से सांसद व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के पक्ष में खड़ा नजर आया था। चुनाव तो संपन्न हो गया, सरकार भी नरेंद्र मोदी के समर्थन में भाजपा की ही बन गई। मगर अब क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने की बारी आई तो भाजपा का समर्थन करने वाले भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष धीरज लटियाल के समर्थन में बिजली के बढ़े दामों, तितावी शुगर मिल द्वारा गन्ना भुगतान ना करना, किसानों पर बकाया को लेकर मुकदमे दर्ज कराना, आदि किसानों से संबंधित समस्याओं को लेकर थाने के बाहर धरने पर बैठ गए।
ये भी पढ़ें : मानसून ने पकड़ी रफ्तार, आज शाम तक इन हिस्सों में बरसेंगे काले बादल जिसके बाद भीषण गर्मी होने के कारण पानीपत खटीमा मार्ग दोनों ओर से जाम हो गया। एक ग्रामीण के अनुसार जाम लगने के कारण गर्मी की वजह से लोग परेशान हो गए। बच्चे उल्टियां करने लगे, महिलाएं बिलबिला उठी। इसी बीच वहां कुछ ग्रामीण आए तो उन्होंने भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ताओं से जाम लगने का कारण पूछ लिया। ग्रामीणों ने जब धीरज लटियाल का नाम सुना तो भड़क उठे। देखते ही देखते मौके पर ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
ग्रामीणों ने पहले तो पुलिस से जाम खुलवाने की मांग की। मगर जब पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए तो ग्रामीणों ने खुद ही भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ताओं द्वारा सड़क पर खड़े किए गए ट्रैक्टरों को हटाना शुरू कर दिया। जिसका भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। जिसके बाद दोनों पक्षों में गाली-गलौच और धक्का-मुक्की हो गई। इस बीच पुलिस मूकदर्शक बनी रही, मगर भीड़ के सामने भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता चुप हो गए और भीड़ से बचने के लिए चुपचाप थाने में घुस गए।
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इस दौरान ग्रामीणों ने भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ताओं पर भाजपाई होने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में भारतीय किसान यूनियन ने भारतीय जनता पार्टी को वोट किया और सपोर्ट किया है। जब सरकार तुम्हारी है, थाने तुम्हारे हैं, तो फिर आम जनता को सड़क पर परेशान क्यों किया जा रहा है, अपनी सरकार से फोन पर या खुद जाकर नेताओं से मिलकर समस्या का समाधान क्यों नहीं कराते । क्यों सड़क पर नौटंकी की जा रही है। इसी बीच नेता धीरज लटियाल भी मौके पर पहुंच गए और मौके की नजाकत को भांप कर थाना कैंपस में ही पुलिस सुरक्षा में धरने की औपचारिकता पूरी करके वापस लौट गए।
मामले की जानकारी भारतीय किसान यूनियन के शीर्ष नेतृत्व को हुई तो भारतीय किसान यूनियन की फजीहत का मंथन शुरू हुआ। इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजू अहलावत से बातचीत की गई तो उन्होंने बगैर शीर्ष नेतृत्व के मंथन किए कुछ भी बोलने से मना कर दिया। वहीं सूत्रों से जानकारी हुई तो पता चला कि सोमवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के आवास पर सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। जिसमें संगठन की हुई फजीहत पर विचार किया जाएगा
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इस पूरे मामले पर फिलहाल भारतीय किसान यूनियन के विरोध में कोई खुलकर नहीं बोलना चाह रहा। मगर इतना जरूर कह रहा है की जब कोई अराजनीतिक संगठन राजनीतिक लालसा पालकर काम करेगा तो उसका हश्र यही होगा आपको बता दें कि चुनाव के बाद से सोशल मीडिया पर भारतीय किसान यूनियन की खूब किरकिरी हो रही है।