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नोटबंदी के बाद नए नोट छापने पर हुए खर्ज और नुकसान को जानने के बाद चौंक जाएंगे आप

locationमुजफ्फरनगरPublished: Nov 13, 2018 02:53:01 pm

Submitted by:

Iftekhar

यूपी कांग्रेस में आई नई जान, भाजपा के होश उड़ाने के लिए कांग्रेसियों ने शुरू किया यह काम

Modi sarkar

नोटबंदी के बाद नए नोट छापने पर हुए खर्ज जानने के बाद प्रधानमंत्री मोदी से आपका उठ जाएगा विश्वास

शामली। नोटबंदी की दूसरी बरसी पर कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ पूरी तरह आक्रामक हो गई है। इस मौके पर कांग्रेस नेताओं ने मोदी सरकार को घेरने के लिए जिन आंकड़ों का सहारा लिया है। वह सरकार को परेशानी में डाल सकती है। कांग्रेस की ओर से पेश किए गए आकड़ों के मुताबिक मोदी सरकार नोटबंदी के जरिए कालेधन को अर्थव्यवस्था से बाहर निकालने में पूरी तरह नाकाम रही या फिर देश में काला धन था ही नहीं। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक रिजर्व बैंक के अनुसार नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में 15.44 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा से के मुकाबले 15.31 लाख करोड़ मुद्रा वापस आ गई थी। यानी ब्लैकमनी को आउट करने में सरकार पुरी करह विफल रही। वहीं, नई मुद्रा को छापने की लागत 7965 करोड़ आई। यानी लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा इस सरकार ने ऐसे काम पर खर्च कर दिया, जिसका लोगों को कोई फायदा होने के बजाए बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा।

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इसी सिलसिले में शामली जिला कांग्रेस कमैटी के पदाधिकारियों ने भाजपा सरकार की ओर से की गई नोटबंदी से देश को हुए नुकसान के विरोध में राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपा, जिसमें उन्होंने देश की जनता के सवालों के जवाब दिए जाने की मांग की है। जिला कांग्रेस कमिटी के पदाधिकारियों ने सोमवार को जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा और शहर अध्यक्ष वैभव गर्ग के नेतृत्व में राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन एडीएम केबी सिंह को सौंपा। इस ज्ञापन में उन्होंने कहा कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवादी वित्तपोषण, कालेधन एवं फर्जी मुद्रा खत्म करने का आश्वासन देकर नाटकीय ढंग से 500 और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इससे देश के 15.44 लाख करोड़ मुद्रा चलन से बाहर हो गई थी। नोटबंदी के बाद लोगों को पुरानी मुद्रा को बैंक से बदलने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। रिजर्व बैंक के अनुसार इस दौरान 15.44 लाख करोड़ मुद्रा से परिपेक्ष्य 15.31 लाख करोड़ मुद्रा वापस आ गई थी। यानी ब्लैकमनी को आउट करने में सरकार पुरी करह विफल रही।

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नई मुद्रा को छापने की लागत 7965 करोड़ आई। जिससे देश को कोई फायदा नही हुआ। नोटबंदी ने कई सुक्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्योग को समाप्त कर दिया गया। कुटीर व छोटे सेक्टर को मिटा दिया गया। दैनिक मजदूरी करने वालों को रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा। भारत के सकल घरेलु उत्पादन में 1.5 प्रतिशत की कमी आई। सरकार के फैसले से लोगों को सुबह से शाम तक लाइनों में खड़ा होना पडा। पुलिस की लाठिया खाई और सरकार के इस फैसले से 100 से अधिक लोग लाइन में खड़े होकर मारे गए। उन्होंने देश की जनता द्वारा उठाये जा रहे सवालों के जवाब प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से मांगे हैं। इस अवसर र श्यामलाल शर्मा, बाबू खान, प्रवीन तरार, लाखन सिंह, राजपाल सिंह, विनोद अत्री, संजीव कुमार वशिष्ठ, महेशचंद शर्मा, पंकज शर्मा, ओमबीर उपाध्याय, लोकेश राणा, सुरेन्द्र सरोहा, अनिल कुमार, रोहिल धीमान, बिजेन्द्र पाल वर्मा, योगेश शर्मा एडवोकेट, आदि मौजूद रहे।

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