3 साल में बढ़ी हिस्सेदारी
पिछला तीन साल खासकर 2016 खुदरा निवेशकों की बढ़ी भागीदारी के साथ में बड़े निवेश का साक्षी रहा है। नोटबंदी के बाद मुचुअल फंड खासकर इक्विटी फंड में निवेश में जबरदस्त वृद्धि होते देखा है। हालांकि इसे पूरी तरह से महज नोटबंदी का प्रभाव नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह पूरे उद्योग जगत की निवेशकों तक पहुंचने तथा निवेश के लाभ के प्रति जागरूक करने की साझा कोशिशों का परिणाम है। नोटबंदी के बाद औपचारिक अर्थव्यवस्था में पैसे का प्रवाह बढऩे से निवेश के रूप में मुचुअल फंड का आकर्षण बढ़ाने में मदद मिली है। एसआईपी मुचुअल फंड में निवेश करने का निवेशकों का तरजीही तरीका रहा है ।
म्युअुचल फंड स्कीम पर कड़े हो सकते हैं नियम
बाजार नियामक सेबी म्युअुचल फंड स्कीम से जुड़ें नियमों में सख्ती कर सकता है। सेबी की म्युचुअल फंड एडवाइजरी पैनल ने म्युचुअल फंड को कैटराइज्ड करने के लिए एक परिभाषा की सिफारिश की है। एडवाइजरी पैनल के इस कदम से मौजूदा समय एसेट मैनेजर द्वारा ऑफर किए जा रहे स्कीम की संख्या घटकर आधी रह जाएगी। सेबी चाहती है कि किसी एसेट मैनजेमेंट कंपनी एक कैटगरी में एक ही स्कीम ऑफर करे। इससे निवेश में सुविधा होगी