स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को किसी भी क्रिटिकल इलनेस कवर या अन्य लाभ आधारित कवर के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। कोई भी स्टैंडर्ड प्रोडक्ट एक फैमिली फ्लोटर प्लान के रूप में पेश किया जा सकता है और इसके अंदर 0 से 25 वर्ष तक के बच्चे भी कवर किए जा सकेंगे। मसौदा में कहा गया है कि प्रिंसिपल सम एश्योर्ड के लिए न्यूनतम प्रवेश आयु 18 वर्ष और अधिकतम प्रवेश आयु 65 वर्ष होगी और इस पॉलिसी को जीवन भर तक रिन्यु कराया जा सकेगा। इसमें कोई भी अधिकतम एक्जिट उम्र नहीं होगी।
दिशानिर्देशों में यह प्रस्ताव है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट्स के बेस कवर के साथ कोई भी एड-ऑन और वैकल्पिक कवर देने या जोड़ने की अनुमति नहीं होगी, जैसा कि वर्तमान में कई बीमा कंपनियां अपने अलग-अलग प्रकार के बेसिक प्रोडक्ट के साथ एड-ऑन और वैकल्पिक कवर दे रही हैं। इस कारण हर बीमा कंपनी का प्रीमियम अलग होता है और किसी को भी इस बात की वास्तविक जानकारी नहीं होती कि उपभोक्ता के लिए बेसिक कवर में क्या-क्या शामिल है। दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट में कुछ अनिवार्य कवर शामिल किए जाने चाहिए, जैसे अस्पताल भर्ती खर्च (रूम, बोर्डिग, नर्सिग खर्च, डेंटल उपचार आदि), आयुष उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद का खर्च, वेलनेस इन्सेंटिव।
पॉलिसीबाजार के स्वास्थ्य बीमा के प्रमुख अमित छाबड़ा का कहना, “प्रस्तावित बदलाव स्वास्थ्य बीमा मार्केट में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है और इनकी मदद से बीमा उत्पादों की खरीद में 20-25 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। वर्तमान में लगभग 3.6 करोड़ परिवार अपनी वार्षिक आमदनी से अधिक चिकित्सा खर्च करते हैं, जिसके कारण वह लगातार कर्ज के बोझ में दबते चले जाते हैं। अधिक किफायती इंश्योरेंस प्लान मौजूद होने से अधिक परिवार स्वास्थ्य बीमा की सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, इन नियमों द्वारा बीमा उत्पादों में मानकीकरण और पारदर्शिता लाए जाने से स्वास्थ्य बीमा में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा।”
Read the Latest Business News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले Business News in Hindi की ताज़ा खबरें हिंदी में पत्रिका पर।