सरपंच प्रतिनिधि रामकिशुन गहवई इस बाड़ी की देखभाल अपने खेतों में लगे फसल की तरह करते हैं। वे रोज सुबह शाम पौधों को पानी देते रहे हैं और पौधों को संरक्षित रखने प्रयास करते रोज देखे जा सकते हैं। रामकिशुन ने बताया कि जनपद सीईओ कुमार सिंह के मार्गदर्शन में यह कार्य प्रारंभ हुआ और उनके निर्देशानुसार ही मनरेगा अंतर्गत यहां बिही बाड़ी बनाया गया है ।
विकास खंड का पहला सफल पौधरोपण: मर्राकोना पंचायत के पिपरलोड ग्राम में रोपित पौधे इतनी बड़ी मात्रा में एक साल के बाद भी सुरक्षित और विकसित हो रहे हैं। यह सम्भवत: विकास खंड का पहला सफलतम पौधरोपण का उदाहरण है। इसी तरह के प्रयास मानसून के आते ही लगभग सभी जगह किया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य से हर साल लाखों पौधे लगाकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। वे असुरक्षित होकर मर जाते हैं। इस वर्ष भी वृहद रूप से पौधरोपण किया जाएगा, पर उसकी सुरक्षा की व्यवस्था के कोई उपाय नहीं होगा।
मनरेगा से की गई फेंसिंग व पानी की व्यवस्था
ग्राम में विकसित हो रहे बिही बाड़ी मनरेगा के अंतर्गत विकसित हो रहा है। 22 सौ पौधों को मवेशियों से सुरक्षित रखने के लिए पूरे क्षेत्र को तार फेंसिंग से घेरा गया है। वहीं पौधों को पानी की व्यवस्था पंचायत द्वारा नलकूप से कराया जाता है। इन सब के अलावा पौधों को रोपने से पहले मिट्टी का कार्य भी। मनरेगा से ये सब सुविधाओं का उपयोग कर अन्य पंचायतों में भी पौधरोपण कर उसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
सीईओ करते हैं निरीक्षण: बाड़ी की देखरेख कर रहे सरपंच प्रतिनिधि रामकिशुन ने कहा कि जनपद सीईओ नियमित रोपित पेड़ों की देखभाल का जायजा लेने ग्राम आते रहते हैं और ग्राम में एक बगीचा बनाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। ग्रामवासियों ने भी पूरा सहयोग दिया है, तब जाकर यह सम्भव हो पाया है। अभी पौधे छोटे हैं, लेकिन उन्नत किस्म के होने के करण अभी से ही फूल लगने लगे हंै और अगले वर्ष यह फल भी देने लगेंगे। ग्राम सचिव शिव कौशिक ने कहा कि मनरेगा और पंचायत मद से पंचायत को हरा भरा बनाने के लिए फलदार और पौधे रोपे जाएंगे।
क्षेत्र की अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणा
सफल पौधरोपण और फिर उसे वाटिका के रूप में विकसित करने की पहल ग्राम पिपरलोड द्वारा किया गया है, जो अन्य पंचायतों के लिए भी प्रेरणा का काम करेगी। अगर इस तरह क्षेत्र के 150 ग्रामों में हजार हजार पौधे रोपे जाएं और उन्हें विकसित किया जाए तो लाखों पौधे क्षेत्र में तैयार हो सकते हैं। जरूरत है तो सिर्फ मजबूत इरादे की, क्योंकि मनरेगा से कार्य तो किसी भी गांव में सम्पन्न कराया जा सकता है।
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