मुनगंटीवार ने पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि राज्य में युति के सिवाय दोनों दलों के पास कोई विकल्प नहीं है। बोले, हमने पहले ही युति के लिए हां भर दी है, अब वे भी जल्दी हामी भर देंगे। मुनगंटीवार ने कहा कि युति को टूटने का कोई सवाल ही नहीं है। सिर्फ पिछले विधान सभा चुनाव में ही अलग हुई है। पिछले 25 वर्षों से दोनों दल साथ रहे है। कुछ विषय पर हम दूर जरूर हुए थे। लेकिन अब नहीं, अब मिलान होगा, लोकसभा और विधान सभा चुनाव में होगा। हमारे बीच एक बार सीटों के बटवारे को लेकर चर्चा हुई तो ठीक उसके बाद युति घोषित कर दी जाएगी।
शिवसेना के नेता भी डरे हुए हैं
भाजपा से अलग होकर शिवसेना कितनी सीटें जीत पाएगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि सही आंकड़ा बताना तो मुश्किल है लेकिन वास्तविकता है कि उनके नेता भी डरे हुए हैं। शिवसेना के आंतरिक रिपोर्ट करने वाले और संगठन देखने वाले नेताओं ने भी पार्टी में उनकी स्थिति का सही आकलन बताया ही होगा। कुल मिलाकर उनके लिए भी आसान नहीं है। राज्य में भाजपा और शिवसेना की युति को लेकर सबके मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पिछले कुछ दिनों से अयोध्या मुद्दे को लेकर भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार को घेरा है। यहां तक कि मोदी सरकार को चोर बताते हुए चौकीदार की ईमानदारी पर ही सवाल किया है। वही, भाजपा शिवसेना के सामने समझौते को लेकर नम हुई है।