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रेलवे के डिब्बों और विरासत स्थलों पर थूके गए पान के दाग मिटाना यूं हुआ आसान,पढिए पूरी ख़बर

locationमुंबईPublished: Nov 13, 2018 02:15:16 pm

रुइया कॉलेज के आठ छात्रों की रिसर्च टीम ने एक फार्मूला ईजाद किया है…

(मुंबई): यहा- वहां पान खाकर थूकने वाले भले ही इन दागों की परवाह नहीं करते हों, लेकिन सरकारी संस्थानों को ये दाग मिटाने पर करोडो रुपए खर्च करने पड़ते हैं। रेलवे के डिब्बे और विरासत स्थलों पर थूके गए पान के दाग मुंह चिढाते नजर आते हैं। हालांकि अब ये पान के लाल लाल धब्बों को मिटाना आसान हो गया है और यह काम किया है, रुइया कालेज के 8 छात्रों की रिसर्च टीम ने। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरणा लेकर छात्रों की इस टीम ने सूक्ष्म जीवी और एम्जाइम की मदद से पान के लाल दाग को रंगहीन बनाने का शोध पेश किया है।

 

इसी शोध ने रुइया कालेज के छात्रों को अंतराष्ट्रीय दर्जे का पुरस्कार दिलाया है। शोध को अमेरिका के बोस्टन स्थित मसच्युसेटस् इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी( एम्आईटी) संस्थान की ओर से आयोजित अन्तराष्ट्रीय जेनिटकली इंजीनियर्ड मशीन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया है। रुइया कालेज के इन छात्रों के प्रोजेक्ट को बेस्ट ह्युमन प्रेक्टिसेस श्रेणी में उत्कृष्ट चुना गया। इस प्रोजेक्ट के लिए छात्रों की इस टीम को स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

रुइया कालेज के संशोधन प्रोजेक्ट के अंतिम वर्ष में पढ़ाई कर रही ऐश्वर्या राजुरकर, अंजलि वैद्य, कोमल परब, निष्ठा पांगे, मैथली सावंत, मिताली पाटील, सानिका आम्बरे तथा श्रुतिका सावंत की एक टीम, जो प्रोफ़ेसर अनुश्री लोकुर, मयूरी रेगे तथा सचिन राजगोपाल के मार्गदर्शन में शोध में जुटी थी। इन छात्रों ने सूक्ष्मजीव (मायक्रोब्स) और विकर (एम्जाइम) के उपयोग से पान के दाग को रंगहीन बनाने का फार्मूला ढूढ़ निकला है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से जब यह टीम मिलने पहुची, तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट की न केवल जमकर तारीफ की, बल्कि छात्रों के हौसला अफजाई करते हुए उन्हें प्रमाण पत्र भी बांटे। उन्होंने कहा कि पान थूकने से होने वाले गंदगी और दाग की समस्या बड़ी है। इससे सिर्फ बीमारी और गन्दगी ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक स्थलों की सुन्दरता भी नष्ट होती है।

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