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मुंबई

गुलजार का तंज, दिल्ली वालों से लगता है डर, न जाने कब कौन-सा कानून बना दें

सीएए और एनआरसी पर गीतकार गुलजार ने केंद्र पर साधा निशाना
लगातार मचा है बवाल, रोजाना नई-नई बातें आ रही हैं सामने
एक निजी कार्यक्रम में भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना पर कसा व्यंग्य

मुंबईDec 28, 2019 / 10:05 pm

Rajesh Kumar Kasera

गुलजार का तंज, दिल्ली वालों से लगता है डर, न जाने कब कौन-सा कानून बना दें

गुलजार का तंज, दिल्ली वालों से लगता है डर, न जाने कब कौन-सा कानून बना दें

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मुंबई. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) को लेकर देश के मौजूदा हालात पर वरिष्ठ गीतकार गुलजार ने केंद्र सरकार पर परोक्ष रूप से प्रहार किया है। गुलजार ने कहा कि दिल्ली वालों से अब मुझे डर लगता है, ना जाने कब कौन-सा कानून लेकर चले आते हैं। वह एक निजी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना पर भी व्यंग्य कसा। शायराना अंदाज में फिल्म निर्माता ने अपनी बात रखी, जिसका ताली बजा कर श्रोताओं ने स्वागत किया।
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गुलजार ने मुरारीलाल नामक काल्पनिक चरित्र के बहाने महाराष्ट्र के सियासी हालात पर कटाक्ष किया। शिवसेना की सरकार बनने से पहले जिस प्रकार से विधायकों की लुकाछिपी और खरीद-फरोख्त का मामला चल रहा था, उस पर उन्होंने जबर्दस्त तरीके से प्रहार किया।
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छोड़ो हाथी, छोड़ो प्यादे

उन्होंने कहा कि एक मुंगेरीलाल था, जिसकी मैं कथाएं सुनता था। उसके माथे पर हमेशा बल रहता था। उसने मुझसे पूछ लिया कि अब तुम मुर्गियों को भी लोग बस में भर कर ले जाते हैं और छुपा कर रखते हैं। फाइव स्टार होटल में महीनों तक रखते हैं। क्योंकि हृष्ट-पुष्ट मुर्गे उसके पीछे लगे रहते हैं। कांग्रेस एनसीपी को भी शतरंज खेल के बहाने लपेटते हुए कहा-छोड़ो हाथी-छोड़ो प्यादे, घोड़ों का कारोबार करो। विधायकों के घोड़ा बाजार पर यह उनका तंज था।
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महंगाई पर कटाक्ष

उन्होंने महंगाई पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि मुरारीलाल के माथे से बल नहीं जाते। बड़ी महंगाई है यारों कि भाव आसमान छूने लगे हैं, लगन बेटी के सर पर आ गई है, बड़ी मुश्किल से मंगलसूत्र बनवाया, दहेज में और क्या दूं, प्याज रख दूं कि भाव सोना छूने लग गया है।

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