महाराष्ट्र में तीसरे चरण में बारामती समेत 11 लोकसभा सीटों पर 7 मई को वोटिंग होगी। पूरे राज्य की निगाहें बारामती पर टिकी हैं। ऐसा हो भी क्यों नहीं, क्योंकि यहां सीधा मुकाबला ननद और भाभी के बीच है।
महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के बारामती को शरद पवार परिवार का गढ़ माना जाता है, जहां से पवार परिवार राजनीति में दशकों से जड़ जमाए हुए है। वर्षों से बारामती लोकसभा सीट पर पवार परिवार का एकछत्र राज रहा है। 83 साल के पवार बारामती लोकसभा सीट से कई बार चुनाव जीत चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि कुछ सदस्यों को छोड़कर पूरा पवार परिवार शरद पवार के पक्ष में है।
‘बीजेपी ने रचा षडयंत्र’
बारामती लोकसभा क्षेत्र में सुप्रिया सुले को मात देने के लिए बीजेपी और एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना ने पूरा दमखम लगाया है। लेकिन इसके बावजूद सवाल उठ रहे है कि क्या राजनीति में कम सक्रिय रहीं सुनेत्रा पवार वाकई में सुप्रिया सुले को शिकस्त दे सकती हैं।
हाल ही में बारामती निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के दौरान सुप्रिया सुले ने कहा था, “सुनेत्रा पवार मेरी भाभी हैं और बड़े भाई की पत्नी जो हमारी भाभी होती हैं वो मां के समान होती हैं। ये बीजेपी का षडयंत्र है जिन्होंने मेरी मां को मेरे खिलाफ लड़वाने का षडयंत्र रचा है…ये हमारे परिवार की लड़ाई नहीं है बल्कि बीजेपी की गंदी राजनीति है जिसमें वे शरद पवार को खत्म करना चाहते हैं…”
जानें बारामती का सियासी समीकरण
बारामती संसदीय सीट के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जिसमें बारामती, इंदापुर, दौंड, पुरंदर हवेली, खडकवासला, भोर-वेल्हा शामिल हैं। इनमें एनसीपी के दो, कांग्रेस के दो और बीजेपी के दो विधायक हैं। इसमें खडकवासला और दौंड विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के विधायक हैं। जबकि एनसीपी से अजित पवार और दत्तात्रय भरणे, कांग्रेस से संग्राम थोपटे और संजय जगताप, बीजेपी से राहुल कुल और भीमराव तापकीर विधायक हैं। एनसीपी विधायक दत्तात्रय भरणे अजित पवार के साथ हैं। पहले भोर के विधायक संग्राम थोपटे और शरद पवार के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, लेकिन अब थोपटे खुलकर सुले के लिए वोट मांग रहे है। पुरंदर के विधायक संजय जगताप अजित पवार की वजह से जीते हैं। लेकिन वो भी शरद पवार के साथ खड़े है।
सुप्रिया सुले को मात देना आसान नहीं! सुनेत्रा पवार राज्य के एक ताकतवर परिवार से आने वाली पॉवरफुल बहू हैं। चुनाव प्रचार में सुनेत्रा के बाहरी होने का मुद्दा खुद वरिष्ठ पवार ने उठाया था। उन्होंने सुले को बारामती की बेटी कहा था।
2019 लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ बीजेपी नेता राहुल कुल की पत्नी कंचन कुल खड़ी हुईं। कंचन कुल 1 लाख 30 हजार वोटों से हार गईं। जबकि 2014 में महादेव जानकर सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती से उतरे थे। जानकर को 69 हजार 666 वोटों से हार मिली थी।
सुप्रिया सुले Vs सुनेत्रा पवार सुप्रिया सुले राजनीति में आने से पहले महिला सशक्तिकरण, आदिवासियों के शैक्षणिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ पवार चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं। आज भी वह अनेक समाज कल्याण से जुड़े काम यशवंतराव चव्हाण विकास प्रतिष्ठान के माध्यम से कर रहीं हैं। अपने कामों से वह लोगों से सीधे संपर्क में है। वह पहले राज्यसभा के लिए चुनी गईं। इसके बाद वह लगातार तीन बार बारामती लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहीं। सुप्रिया सुले ने अपने संसदीय क्षेत्र के हर गांव का दौरा किया है।
वहीँ, सुले की तरह ही सुनेत्रा पवार भी विद्या प्रतिष्ठान संस्था के जरिये शिक्षा के क्षेत्र में लगातार काम कर रहीं हैं। सुनेत्रा भी कई संगठनों से जुड़ी हैं। उनकी पहल से टेक्सटाइल उद्योग से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी है। कई परिवारों की महिलाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला। वे ग्राम स्वच्छता, स्मार्ट विलेज, पर्यावरण संतुलित ग्राम के जरिये भी लोगों के बीच जाती रहीं। वह शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय है। सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में सीनेटर है।
कुल मिलाकर सुप्रिया सुले की तरह सुनेत्रा पवार भी बारामती में एक प्रभावशाली शख्सियत हैं। हालांकि, अब बारामती की जनता ही मंगलवार को फैसला करेगी कि उनका सांसद कौन होगा।