kajari: दरद होय पिया हमरी कलाई में,भांग के पिसाई में ना। फिल्मी कलाकारों ने भी मनाया कजरी
मुंबईPublished: Aug 13, 2019 07:56:54 pm
फिल्मी कलाकारों ने भी मनाया कजरी
भाजपा नेता रमापतिराम त्रिपाठी ने लोकगीतों को काल-परिस्थिति व संस्कृति का आईना बताया
कजरी की लाइन पर मोह गए श्रोता ,
दरद होय पिया हमरी कलाई में,भांग के पिसाई में ना।
kajari: दरद होय पिया हमरी कलाई में,भांग के पिसाई में ना। फिल्मी कलाकारों ने भी मनाया कजरी
मुम्बई । महानगर में उत्तर भारत के संस्कृति का बोध कराने वाली कजरी लोकगीत महोत्सव का खुमार जम कर लोगों पर छाया हुआ है । भायन्दर के प्रमोद महाजन हॉल मे हुए समारोह मे जहां।मुम्बई महानगर से Kआई बड़े नेता उपस्थित थे वही उत्तरप्रदेश भाजपा के पूर्वप्रदेश सह प्रभारी व देवरिया के वर्तमान सांसद डॉ रमापतिराम त्रिपाठी व यूपी फ़िल्म बोर्ड के उपाध्यक्ष राजू श्रीवास्तव ने भी उपस्थिति दर्ज कराकर लोगों का अपनत्व का एहसास दिलाया। इस मौके पर रमापतिराम त्रिपाठी ने लोकगीतों को काल-परिस्थिति व संस्कृति का आईना बताया और कहा कि नई पीढी को लोक संस्कृति से जोडा जाना चाहिए। त्रिपाठी ने लोकगीतों की परम्परा और उसके औचित्य पर बोलते हुए कहा कि लोकगीतों,का इतिहास उतना ही पुराना है,जितनी मानव विकास की कहानी।विभिन्न ऋतुओं एवम् पर्वों पर गाये जानेवाले लोकगीत मानव के सामूहिक श्रम,उमंग और संघर्ष की कथाएं हैं।इन कथाओं और संस्कारों से अभियान के अध्यक्ष अमरजीत मिश्र नयी पीढ़ी का परिचय करा के उन्हें संस्कारित करने का अभियान छेड़े हुए हैं,जो प्रशंसनीय है।राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र ने लोक संस्कारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
गायक सुरेश शुक्ल व गायिका राधा मौर्य के लोकगीतों का जादू लोगों के सिर चढ़ के बोल रहा था।उन्होंने नशेड़ी पति को ताना मारती उसकी पत्नी की बेबाक व्यथा का जैसे ही उल्लेख किया कि ” मोसे भांग ना पिसाई , सुना , ननदी के भाई,आग लगे तोहरे नसा के पीयाई में , भांग के पिसाई में ना। दरद होय पिया हमरी कलाई में,रोटी के पोआई में ना” तो सभागृह में बैठे बच्चे-बूढ़े सभी ठहाके मार के हंस पड़े।तो मुम्बई के सदाबहार लोकगायक सुरेश शुक्ला ने नहले पे दहला मारते हुए गाया “जवन जवन कहब, तोहके करे के परी,भांग मोरि पीसे के परी ना
इस अवसर पर विधायक नरेंद्र मेहता ,उपमहापौर चंद्रकान्त वैती ,समाजसेवी ललन तिवारी ,तारक मेहता सिरियल के कलाकार अय्यर आदि लोग उपस्थित थे। आदि लोग उपस्थित थे।