कर्ज माफी की घोषणा के बावजूद महाराष्ट्र में farmers committed suicide रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार ने भी विधानसभा में माना कि किसानों की खुदकुशी के मामले बढ़े हैं। पिछले तीन साल के दौरान राज्य के
12 ,021 किसानों ने मौत को गले लगाया है। चालू साल के तीन महीनों में 610 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में पुनवर्सन विभाग के मंत्री सुभाष देशमुख ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खुदकुशी के मामले में 6,845 किसानों के परिवार को सरकारी सहायता प्रदान की गई है। बाकी 5,200 किसान आत्महत्या के मामले सरकारी सहायता के अयोग्य पाए हैं। देशमुख ने बताया कि चालू साल के तीन महीनों में 610 किसान आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। जिला अधिकारी की पड़ताल के आधार पर इनमें से 192 किसानों के परिजनों को सहायता के योग्य माना गया है, जिनमें से 182 को सरकार की ओर से सहायता रकम जारी की गई है। पुनवर्सन मंत्री ने बताया कि सरकार की ओर से किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने का प्रयास हम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। यह भी बताया कि सूखा प्रभावित किसानों को जरूरी मदद मुहैया कराने के साथ ही सरकार उनका कर्ज भी माफ कर रही है।
24 हजार किसानों का कर्ज माफ देशमुख ने बताया कि राज्य के 24 हजार किसानों का कर्ज माफ किया गया है। 28 हजार करोड़ रुपए इस पर खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज माफी के दायरे के तहत अयोग्य साबित होने वाले किसानों का भी कर्ज माफ किया जाएगा। उसके लिए 158 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। ऑनलाइन आवेदन करने वाले किसानों का भी कर्ज माफ किया जाएगा।
कर्ज माफी की खुली पोल विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने किसानों का कर्ज माफ करने की पोल खोली। वाशिम के किसान अशोक मनवर का कर्ज माफ करने से जुड़े सर्टिफिकेट को दिखाया। साथ ही दावा किया कि कर्ज माफी का सर्टिफिकेट मिलने के बावजूद किसान का कर्ज माफ नहीं हुआ है। मुंडे ने कहा कि कर्ज माफी का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा। पुराना कर्ज नहीं चुकाने के चलते बैंकों से उन्हें नया लोन नहीं मिल रहा। विपक्ष के नेता ने कहा कि यह गंभीर मामला है। उन्होंने राज्य के सभी किसानों का कर्ज माफ करने की मांग सरकार से की।