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रक्त के टोटा से 51 बच्चे झूल रहे जीवन और मौत के बीच

locationमुंबईPublished: Mar 03, 2019 07:02:20 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

थेलेसेमिया केन्द्र में खून की कमी से बच्चों की जरूरत पूरा करने में मुश्किलें, संस्थाओं के कैंप के भरोसे हैं इनकी जिंदगी

51 children swinging between blood and blood between the life and deat

रक्त के टोटा से 51 बच्चे झूल रहे जीवन और मौत के बीच

उल्हासनगर. सरकारी अस्पताल रोगों से ग्रस्त लोगों को पर्याप्त इलाज देने में विफल है। मामला सिविल का दर्जा प्राप्त सेंट्रल अस्पताल का है, जहां अव्यवस्था का आलम यह है कि इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को निराश कर रहा है। कैंप तीन के सेंट्रल अस्पताल में खून की कमी है, जिससे इसी परिसर में बनाए गए थेलेसेमिया केंद्र में इस बीमारी से पीडि़त बच्चों को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पा रहा है। उन्हें रक्त चढ़ाने के लिए संस्थाओं के पास भटकना विवशता हो गई है। संस्थाओं के रक्तदान शिविर से उन्हें रक्त उपलब्ध कराया जाता है, जिससे 51 थेलेसेमिया पीडि़त बच्चों का जीवन बचाया जा सके।

जानकारी केे अनुसार थेलेसेमिया के उपचार के दो तरीके हैं। एक तो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति अथवा बच्चे को हर 15 दिन में रक्त चढ़ाया जाए और दूसरा तरीका है बॉन मैरो के माध्यम से ऑपरेशन करना, जो ज्यादातर सफल नहीं होता है। इस वजह से उन्हें हर माह में दो बार रक्त चढ़ाया जाता है, जब तक वे जीवित रह सके।
केन्द्र के संचालक अशोक खटूजा ने कहा कि हमारा मकसद है इस रोग से ग्रस्त बच्चों का जीवन बचाना। इसके लिए हम वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। अस्पताल में जब रक्त की कमी की बात पूछी तो उन्होंने पुष्टि की कि सेंट्रल अस्पताल में खून की कमी है।

इसी अस्पताल से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अस्पताल को रक्तदान के जरिए कई यूनिट रक्त मिलता है, लेकिन उसको भंडार (स्टोरेज) नहीं करते हैं। अगर किसी संस्था से लेसेमिया पीडि़त बच्चों के लिए रक्त आता भी है तो अस्पताल वाले अन्य मरीज़ों को भी चढ़ा देते हैं यानि किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति या ऑपरेशन में उपयोग किया जाता है। फिर जब थेलेसेमिया पीडि़त बच्चों को रक्त देने की जरूरत पड़ती है तो अस्पताल प्रबंधन अपने हाथ खड़े कर देता है कि रक्त नहीं है।

स्वयंसेवी संस्थाओं से लगाते हैं गुहार
थेलेसेमिया पीडि़त बच्चों की रक्त की जरूरत को पूरा करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं से आग्रह कर रक्तदान शिविर का आयोजन कराया जाता है। बच्चों के जीवन को बचाने के लिए संस्थाएं शिविरों का आयोजन करती हैं। आरोप है कि सरकार के वैद्यकीय विभाग से रक्तदान के लिए फंड भी आता है लेकिन वह फंड भी थेलेसेमिया केंद्र तक नहीं पहुंच पाता। पिछले दिनों समय पर रक्त नहीं मिलने के कारण एक बच्चे की तबियत बहुत खऱाब हो गई थी। इस केन्द्र की तरफ से उल्हासनगर के राजनीतिक नेताओं से लेकर सांसद तक मदद की गुहार लगाई गई है कि 51 बच्चों का जीवन अधर में लटका हुआ है, इन्हें बचाइए।

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