अभिनय देव ने 2011 में ब्लैक कॉमेडी ‘देल्ही बैली’ से डायरेक्शन में कदम रखा था। फिल्म के डिफरेंट फ्लेवर के कारण युवाओं ने इसे खासा पसंद किया। इसके बाद आई अभिनय की फिल्में ‘गेम’ और ‘फोर्स 2’ कुछ खास नहीं रही। अब एक बार फिर अभिनय ने ‘देल्ही बैली’ के जोनर को पकड़ते हुए ‘ब्लैकमेल’ बनाई है। इरफान खान अभिनीत इस फिल्म में उन्होंने डार्क ह्यूमर के अंदाज में कहानी को कहने की कोशिश की है, जिसे एक्टर्स की उम्दा परफॉर्मेंस ने मजेदार बना दिया है।
स्क्रिप्ट: देव (इरफान खान) टॉयलेट पेपर की कंपनी में जॉब करता है। वह शादीशुदा है, लेकिन उसकी लाइफ बेरंग सी है, जिसमें कोई रोमांच नहीं है। इस वजह से देव देर तक ऑफिस में ही बैठा रहता है। एक दिन देव का कलीग आनंद (प्रद्युम्न सिंह) उसे सलाह देता है कि बोरियत भरी जिंदगी में रोमांच भरने के लिए वह अपनी वाइफ को सरप्राइज दे। आनंद के कहने पर देव घर जल्दी जाकर वाइफ रीना (कीर्ति कुल्हरी) को सरप्राइज देने की सोचता है। वह ऑफिस से जल्दी निकलता है और गुलाब का गुलदस्ता लेकर घर पहुंचता है, पर घर में वह जो देखता है, उससे खुद चकित रह जाता है। दरअसल, बेडरूम में रीना अपने बॉयफ्रेंड रंजीत (अरुणोदय सिंह) के साथ होती है। पूरी सिचुएशन देखने-समझने के बाद देव, रंजीत को ब्लैकमेल करने लगता है। ऐसे में ब्लैकमेलर को मनी देने के लिए रंजीत वाइफ (डॉली) दिव्या दत्ता से मदद मांगता है, जो कि उसके साथ बुरी तरह से ट्रीट करती है। इसके बाद कहानी में ट्विस्ट्स आने लगते हैं। ब्लैकमेलिंग के इस गेम से जो सिचुएशन बनती हैं, वो गुदगुदाती है।
एक्टिंग: इन दिनों न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज करवा रहे इरफान का जबरदस्त अभिनय फिल्म की जान है। कम डायलॉग्स के बावजूद वह हाव-भाव से ही दिल जीत लेते हैं। अरुणोदय की परफॉर्मेंस उम्दा है। कीर्ति को कम स्क्रीन स्पेस मिला है, पर ध्यान बटोरने में कामयाब रही हैं। छोटे से रोल में दिव्या ने पावर-पैक्ड एंट्री के साथ शानदार परफॉर्मेंस दी है। प्रद्युम्न और अनुजा साठे ने भी अच्छा काम किया है। ओमी वैद्य ‘टॉयलेट’ ह्यूमर क्रिएट करने में सफल रहे। गजराज राव का काम भी काबिलेतारीफ है।
डायरेक्शन: कहानी मजेदार है, हालांकि शुरुआत में प्लॉट सेट होने में समय लेता है। परवेज शेख ने स्टोरी व स्क्रीनप्ले को रोचक ढंग से गढ़ा है। निर्देशक ने डार्क एंड सिचुएशनल ह्यूमर की बुनियाद पर फिल्म को सिम्पल, स्टाइलिश और इंटरेस्टिंग अंदाज में प्रजेंट किया है। गीत-संगीत कहानी के मिजाज से मेल खाता है, वहीं बैकग्राउंड स्कोर मूवी की गति बनाए रखता है। उर्मिला मातोंडकर का आइटम नंबर ‘बेवफा ब्यूटी’ ठीक है। सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग बढिय़ा है।
क्यों देखें: ‘ब्लैकमेल’लीक से हटकर स्वच्छंद मनोरंजक फिल्म है, जिसमें अच्छा डार्क ह्यूमर है। स्पार्कलिंग एक्टिंग और स्मार्ट राइटिंग से सजी ब्लैकमेल में एक के बाद एक आने वाले ट्विस्ट्स इसे दिलचस्प बनाए रखते हैं। लिहाजा ब्लैक एंटरटेनिंग कॉमेडी ‘ब्लैकमेल’ का एक बार लुत्फ उठाया जा सकता है।
आर्यन शर्मा