पिता से सीखा
बिलारी नगर के मोहल्ला ठाकुरान में रहने वाले अब्दुल रशीद के बेटे जरीफ अहमद को तेरह साल की उम्र से ही मौत के पर्याय काले विषधर यानी सांपों से खेलने की आदत पड़ गई। क्योंकि उसके पिता सांप को पकड़ने और सांपों से खेलने के अभ्यस्त थे। बचपन से ही उसने यह सब देखा तो आसान खेल जैसा ही लगने लगा। जब छोटा था तो पिता उसे सांपों से दूर रखते थे, लेकिन जब तेरह साल का हुआ तो वह सांपों को छूकर देखने में ही सांपों का दोस्त बन गया।
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अपने साथ रखता है कोबरा
कपड़े की दुकान करने वाले जरीफ का कहना है कि उसे सांपों से बिल्कुल भी डर नहीं लगता और सांप उसे अपने दोस्त जैसे लगते हैं। वह अपने छोटे से बॉक्स को खोलकर भयानक कोबरा का खेल दिखाने लगता है,तो लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। जरीफ को भले ही डर नहीं लगता परंतु देखने वाले जरूर डर जाते हैं और जरीफ को सांपों से दूर रहने की हिदायत देते हैं।