बैंकों का करोड़ों रुपये लेकर भागे विजय माल्या को देश में लाने का रास्ता साफ हो गया है। अब इस मामले में यूके की सरकार ने माल्या के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है। अपील करने के लिए विजय माल्या को 14 दिन की मोहलत दी गई है। भारतीय बैंकों के अरबों रुपए का गबन कर आरोपी विजय माल्या मार्च 2016 में लंदन भाग गया था। माल्या को वापस लाने के लिए भारत सरकार दो साल से प्रयास कर रही थी। भारतीय जांच एजेंसियों ने लंदन के कोर्ट में इसके लिए बेहद लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी। दिसंबर 2018 में लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने माल्या को भारत को सौंपे जाने का फैसला सुनाया। ब्रिटेन में पाकिस्तानी मूल के गृह मंत्री जवीद के कार्यालय ने सोमवार को इस बात की घोषणा की कि मामले के सारे पहलुओं पर विचार करने के बाद माल्या के प्रत्यर्पण की मंजूरी दी जा रही है। ब्रिटिश होम ऑफिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि ‘सभी प्रासंगिक मामलों पर विचार करने के बाद तीन फरवरी को मंत्री ने विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर दस्तखत कर दिए।’ प्रवक्ता ने कहा कि विजय माल्या पर भारत में धोखाधड़ी की साजिश रचने, गलत जानकारी देने और धनशोधन करने के आरोपों से सरकार सहमत है।
माल्या ने कहा है कि वह कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह अपील करेंगे। माल्या अब इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में ऐप्लिकेशन दे सकते हैं। इस मामले में जानकारों का मानना है कि भारतीय जांच एजेंसियों को अब अधिक सतर्क रहना होगा। जानकारों का मानना है कि भले ही माल्या के प्रत्यर्पण पर भारत के पक्ष में फैसला आया हो, लेकिन ब्रिटिश जज ने भारतीय एजेंसियों को सुनवाई के दौरान जमकर लताड़ लगाई थी। जज ने अपने फैसले में कहा था कि भारतीय एजेंसियों द्वारा बार-बार एक जैसे सबूत पेश किए जा रही हैं। साथ ही कोर्ट में पेश किए गए कई गवाह एक जैसी बातें कर रहे हैं। ब्रिटिश कोर्ट ने इस मामले में जांच एजेंसियों की पेपरबाजी की आदत पर भी सवाल खड़े किये थे। बदले माहौल में अब भारत को अधिक सतर्क रहने की जरुरत है।