ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लेकर फरार विजय माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर मुहर लगा दी है लेकिन इस मामले में अब अब गेंद कोर्ट के हाथ में है। ब्रिटिश सरकार का फैसला आते ही माल्या ने कहा था कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करेगा। माल्या की इस घोषणा के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि माल्या लोकसभा चुनाव यानी मई 2019 से पहले भारत लाया जा सकता है अथवा नहीं। आपको बता दें कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश 10 दिसंबर, 2018 को ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्टने दिया था। उसके बाद पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश गृह मंत्री साजिद ने 3 फरवरी को उनके प्रतयर्पण को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद विजय माल्या के पास ऊपरी अदालत में अपील के लिए 14 दिन का समय है।
माल्या की अपील पर ब्रिटिश हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। पहले एक जज वाली पीठ प्रत्यर्पण के आदेश पर सुनवाई करेगी। यदि इस पीठ ने प्रत्यर्पण पर मुहर लगा दी तो दो जजों वाली बेंच इस मामले में आगे सुनवाई करेगी। अगर यहां से भी माल्या को राहत नहीं मिली तो इसके बाद माल्या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करना मंजूर कर लेता है तो पूरे मामले की सुनवाई पूरी होने में करीब 18 महीने लग जाएंगे। लेकिन यदि अपील के पहले चरण में ही हाईकोर्ट ने ही प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी और माल्या को आगे अपील की इजाजत नहीं दी, तो माल्या को मई 2019 से पहले ही भारत लाया जा सकता है।
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