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चीनी एजेंसी पर प्रतिबंध का मतलबहालांकि अमरीकी सैन्य प्रतिबंधों के बाद चीन की एजेंसी पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन अब यह कंपनी अमरीका के साथ किसी भी सौदे में हिस्सा नहीं ले पाएगी। एजेंसी अमरीका से कोई विदेशी मुद्रा विनिमय नहीं कर पाएगी। बता दें कि चीन की मिलिट्री एजेंसी इक्विपमेंट डिवेलपमेंट डिपार्टमेंट देश के डिफेंस टेक्नॉलजी की देखरेख करता है।
अमरीका 2017 से ही ईरान, रूस और उत्तर कोरिया के साथ हथियारों के सौदे को अवैध मनाता आया है। अमरीका में CAATSA कानून लागू होने के बाद ईरान, उत्तरी कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस कानून के तहत ट्रंप प्रशासन ने रूस से जुड़े 33 लोगों और कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जो डिफेंस डील्स में अहम भूमिका निभाते हैं।
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चीन के बहाने रूस पर निशानाबताया जा रहा है कि अमरीका के इस कदम का असल निशाना रूस है। इस कानून के चलते चीन की सैन्य एजेंसी को बैन करना असल में रूस को सबक सीखने की अमरीकी कोशिश है। जानकारों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन पर खुफिया एजेंसी की उन रिपोर्ट्स को लेकर काफी दबाव है, जिसमें दावा किया गया है कि रूस अमरीका की राजनीति में हस्तक्षेप कर रहा है।