इस संबंध में अपनी वेबसाइट पर ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने बताया कि बीते एक वर्ष के दौरान दुनिया में पर्यावरण और राजनीतिक माहौल के मद्देनजर इस शब्द का चयन किया गया है। वेबसाइट में बताया गया है कि इन हालात में यह शब्द बहुत से परिदृश्यों में लागू होता है, ऐसे में यह सबसे ज्यादा सटीक शब्द बना।
इसमें यह जानकारी भी दी गई है कि अध्ययनों में यह बात भी सामने निकलकर आई कि वर्ष 2018 में इस शब्द का इस्तेमाल लोगों ने तमाम संदर्भों के लिए किया। इनमें हालात, चिंताओं और घटनाओं की अभिव्यक्ति के लिए इस शब्द का प्रयोग पता चलता है।
क्यों चुना गया वर्ड ऑफ द ईयर? वर्ष 2018 में toxic ने अपने जहरीले दायरे को बढ़ाया और साल के सर्वाधिक चर्चा में रहने वाले शब्द के रूप में पहचान बनाई। इसके इस्तेमाल के दायरे को लेकर की गई शोध में यह शब्द वर्ष में बिल्कुल अलग बनकर सामने आया।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के शोध के आंकड़े बताते हैं कि वेबसाइट पर इस शब्द की खोज में 45 फीसदी का ईजाफा देखा गया। इस साल के दौरान Toxic शब्द को शाब्दिक और अनुप्रयोगों के आधार जैसे तमाम संदर्भों में खोजा गया।
2018 के टॉप 10 टॉक्सिक शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने Toxic के साथ ही इस वर्ष बार-बार खोजे जाने वाले टॉप 10 शब्दों की भी घोषणा की। इनमें नंबर 1 से 10वें तक घटते क्रम में केमिकल, मैस्कुलिनिटी, सब्सटेंस, गैस, एन्वार्यमेंट, रिलेशनशिप, कल्चर, वेस्ट, एल्गी और एयर शब्द शामिल हैं।
क्या कहना है वेबसाइट का Toxic शब्द को लेकर वेबसाइट न लिखा कि यों तो इस शब्द के वास्तविक अर्थ को लोग पर्यावरण और स्वास्थ्य के संदर्भ में इस्तेमाल करते आए हैं। लेकिन अब लोग इस शब्द का इस्तेमाल टॉक्सिक वर्कप्लेस, टॉक्सिक स्कूल, टॉक्सिक कल्चर, टॉक्सिक रिलेशनशिप और टॉक्सिक टेंशन के रूप में भी करने लगे हैं। यानी शब्द का दायरा बढ़ गया है।
वेबसाइट ने यह भी लिखा कि #MeToo अभियान के चलते ‘टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी’ शब्द भी सामने आया। जबकि दुनियाभर की राजनीति में भी नीतियों, एजेंडा और भाषणों पर भी यह शब्द आने लगा है।