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किलोग्राम नापने का पैमाना बदला, फ्रांस में की गई आधिकारिक घोषणा

locationनई दिल्लीPublished: Nov 17, 2018 09:39:06 pm

Submitted by:

mangal yadav

अब एक किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा। 20 मई 2019 से वैज्ञानिक किलोग्राम को मापने के नए तरीके का प्रयोग करेंगे।

Global standard for kilogram

किलोग्राम नापने का पैमाना बदला, फ्रांस में की गई आधिकारिक घोषणा

पेरिसः 129 साल के बाद 60 देशों ने मिलकर मापने का पैमाना किलोग्राम की परिभाषा को बदल दी है। अब एक किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा। अब 20 मई 2019 से वैज्ञानिक किलोग्राम को मापने के नए तरीके का प्रयोग करेंगे। दरअसल शुक्रवार (16 नवम्बर 2018) को फ्रांस के वर्साय में जनरल कॉन्फ्रेंस ऑन वेट्स एंड मेजर्स में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने वोट के जरिए तय किया कि अब से किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेन्ट के आधार पर मापा जाएगा। इसे मापने के लिए किब्बल तराजू का प्रयोग किया जाएगा जोकि बिजली( करंट) से चलता है। बताया जा रहा है कि एम्पीयर (बिजली की यूनिट), केल्विन (ठंडे तापमान की यूनिट) और मोल (पदार्थ की मात्रा की यूनिट) में भी बदलाव होंगे।

इससे पहले किलोग्राम का ये था मानक

16 नवंबर से पहले किलोग्राम एक किलो का भार पेरिस में रखे एक धातु के सिलिंडर के बराबर माना जाता था। ये एक अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसपर वर्ष 1889 में सहमति बनी थी। इस प्रोटोकॉल का नाम ‘इंटरनेशनल प्रोटोकॉल किलोग्राम’ है, जिसे ‘ल ग्रैंड के’ भी कहा जाता है। इसके तहत पेरिस के ब्यूरो इंटरनेशनल द पॉइड्स एत मीजर्स इन सेवरेस में प्लेटिनम और इरीडियम के मिश्रण वाले एक मिक्स धातु का छोटा सिलिंडर के वजन को एक किग्रा माना जाता है। इस सिलिंडर को हर 30-40 साल में जांच के लिए बाहर निकाला जाता है और विश्वभर के बांटों को इससे नापा जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापने से बाजार में होने वाले माप का इसका असर नहीं पड़ेगा।

क्यों की जा रही है बदलने की कोशिश
इस ईकाई को बदलने का सबसे मुख्य कारण ये है कि वैज्ञानिकों को लगता है कि पेरिस में रखा ये मानक किलो धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है। हालांकि ये किस कारण हो रहा है ये दावा करना अभी मुश्किल है। कुछ का मानना है कि ऐसा धातु के धीरे-धीरे क्षरण की वजह से हो रहा है तो वहीं ये भी हो सकता है कि दुनिया के अन्य बांटों पर धीरे-धीरे और चीजें (धूल वगैरह) जमा हो रहीं हैं, उस कारण भी ऐसा हो सकता है। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले ही इस बांट में 30 माइक्रोग्राम की बढ़त दर्ज की गई थी। वैसे तो ये ग्राहकों के लिए अच्छी बात थी लेकिन वैज्ञानिकों के लिए ये चिंताजनक बात है। दरअसल दवाओं के मार्केट जैसे क्षेत्रों में इस कारण बड़े बदलाव आ सकते हैं क्योंकि इनमें वजन की मात्रा का सटीक पता होना बहुत अहमियत रखता है।

भारत का सही नाप वाला किलो
भारत के पास भी इस ‘ल ग्रैंड के’ की एक आधिकारिक कॉपी , जो दिल्ली के नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी में रखा हुआ है। ये भारत का सबसे सही नाप वाला किलो माना जाता है। समय-समय पर इसे पेरिस माप के लिए भेजा जाता है।

 

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