रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा मीठा पेय पीने से बच्चों में मधुमेह की भी समस्या हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में सेंटर फॉर फूड पॉलिसी के निदेशक हॉक्स के मुताबिक, इसके चलते बच्चों में बौनेपन की समस्या पैदा हो रही है। अध्ययन के मुताबिक,
भारत में कुपोषण के चलते दुनिया के एक तिहाई बच्चे बौनेपन की समस्या जूझ रहे हैं। भारत 4.66 करोड़ बौने बच्चों के साथ दुनिया में पहले नंबर पर है। उसके बाद नाइजीरिया (1.39 करोड़) और
पाकिस्तान (1.7 करोड़) हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कमोबेश यही हाल कई और देशों का भी है। कुपोषण से भारत में करीब 4.6 करोड़ बच्चों की लंबाई कम रह गई, जबकि करीब 2.6 करोड़ बच्चों का वजन भी लंबाई के मुताबिक बेहद कम है।
खून की कमी, दिमागी विकास पर असर भारत में कुपोषण के चलते एनीमिया (खून की कमी), निम्र जन्म दर जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। मातृ-मृत्यु दर में इजाफा हो जाता है और जन्म लेने वाले बच्चे पर भी असर पड़ता है। ऐसे बच्चों का दिमागी विकास रुक जाता है। शारीरिक वृद्धि पर भी असर पड़ता है।
दुनिया में 15 करोड़ बच्चे हो गए बौने रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 15.08 करोड़ बच्चे बौनेपन का शिकार हैं, जबकि 5.05 करोड़ बच्चों का वजन उनकी लंबाई के मुताबिक नहीं है यानी कम है। राहत वाली बात यह है कि एशिया में बौनेपन की समस्या में कमी आई है। यह आंकड़ा 2000 के 38 फीसदी के मुकाबले 2017 में 23 फीसदी रह गया है।
देश में 10 लाख बच्चे मोटापे की चपेट में भारत उन देशों में भी शामिल है जहां दस लाख से अधिक बच्चे मोटापे का शिकार हैं। अन्य देशों में चीन, इंडोनेशिया, भारत, मिस्र, अमरीका, ब्राजील व पाकि स्तान हैं। वयस्कों में मोटापे के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक मोटी हैं। इसके विपरीत महिलाओं के मुकाबले पुरुष मधुमेह के अधिक शिकार हैं। रिपोर्ट में जिन 141 देशों का विश्लेषण किया गया उनमें से 88 फीसदी से ज्यादा देशों में एक से अधिक तरह का कुपोषण पाया गया।