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ईको फ्रेंडली है फेसबुक की नई इमारत, 640 लाख लीटर पानी की बचत करेगी

locationनई दिल्लीPublished: Sep 12, 2018 11:14:25 am

Submitted by:

Mohit Saxena

एमपीके-21 नामक नई इमारत को 89 वर्षीय प्रसिद्ध आर्किटेक्ट फ्रेंक गेहरी ने 18 माह में तैयार किया है

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ईको फ्रेंडली है फेसबुक की नई इमारत,640 लाख लीटर पानी की बचत करेगी

कैलिफोर्निया। सिलिकॉन वैली के मेनलो पार्क स्थित सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक के मुख्यालय परिसर का विस्तार किया गया है। एमपीके-21 नामक नई इमारत को प्रसिद्ध आर्किटेक्ट फ्रेंक गेहरी (89) ने 18 माह में तैयार किया है। नई इमारत को पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है। इसमें वाटर रिसाइक्लिंग सिस्टम लगा है। इससे हर वर्ष 640 लाख लीटर पानी की बचत होगी। परिसर में प्राकृतिक प्रकाश की व्यवस्था का इंतजाम हैं। फेसबुक की कार्यशैली के अनुरूप इस इमारत को तैयार किया गया है।
परिसर में विशेष हरियाली रखी गई है

पूरे परिसर में कई पेड़-पौधे लगे हैं। कर्मचारियों के लिए पूरे परिसर में बैठकर काम करने की सुविधा को देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए हैं। आंगन की तरह खुली जगह में सोफा लगाए गए हैं। इसमें कई तरह के रेस्तरां भी हैं। 15 तरह की कलाकृतियां भी स्थापित की गई हैं। कार्यक्रमों के लिए दो हजार सीट वाला सभागृह बनाया गया है। पूरे परिसर को इको फ्रेंडली बनाया गया है। इसके आसपास काफी हरियाली रखी गई है। इसके साथ परिसर की दीवारों पर बेहतरीन कलाकृतियां उकेरी गई हैं।
दोनों परिसर को जोडऩे के लिए गार्डन बनाया गया

पूरे परिसर की डिजाइन में करीब 217 करोड़ और निर्माण में 723 करोड़ रुपए का खर्च हुआ है। फेसबुक मुख्यालय एमपीके-20 को भी गेहरी ने ही तैयार किया था। दोनों परिसर को जोडऩे के लिए गार्डन बनाया गया है। एमपीके-20 इमारत 2015 में बनकर तैयार हुई थी। छत पर 1.4 मेगावाट फोटोवोल्टिक सौर पैनल लगाए हैं। इससे सालाना 20 लाख किलोवाट बिजली पैदा होगी। फेसबुक वेबसाइट 4 फरवरी, 2004 को मार्क जुकरबर्ग द्वारा, हार्वर्ड कॉलेज के छात्रों एडुआर्डो सेवरिन, एंड्रयू मैककॉलम, डस्टिन मोस्कोविट्ज़ और क्रिस ह्यूजेस के साथ लॉन्च की गई थी। संस्थापकों ने शुरुआत में हार्वर्ड छात्रों को वेबसाइट की सदस्यता सीमित कर दी। बाद में उन्होंने बोस्टन क्षेत्र, आइवी लीग स्कूलों और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा संस्थानों में इसका विस्तार किया। फेसबुक ने धीरे-धीरे विभिन्न अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों का समर्थन जोड़ा। बाद में पूरी दुनिया पर छा गया

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