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वैश्विक संकट… अवैध खान से खत्म हो जाएंगे रेगिस्तान, अरब देश भी रेत आयात करने को मजबूर

Published: Sep 13, 2017 04:32:00 pm

Submitted by:

Devesh Kr Sharma

भू वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन ये रेगिस्तान खत्म हो जाएंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह रेत का अवैध खनन है।

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Arab countries buying sand form others

नई दिल्ली. आप को यह जानकर हैरानी होगी कि पानी के बाद रेत ऐसा दूसरा प्राकृतिक संसाधन है जिसका भविष्य में बड़ा संकट उभर सकता है। भू वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन ये रेगिस्तान खत्म हो जाएंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह रेत का अवैध खनन है। चौंकानें वाली बात यह है कि दुबई और संयुक्त अरब अमीरात जैसे रेगिस्तान वाले देशों को भी अपनी चमकदार इमारतें तैयार करने के लिए दूसरे देशों से रेत आयात करनी पड़ रही है।
वर्तमान समय में हर तरह के निर्माण कार्यों में रेत की आवश्यकता रहती है। साल 2011 में 11 अरब टन रेत का खनन सिर्फ निर्माण कार्यों के लिए किया गया था। वैश्विक स्तर पर हर साल कुल 40 अरब टन रेत खनन किया जाता है। इतना ही नहीं रेत खनन का बाजार 70 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। दुबई को ऑस्ट्रेलिया से रेत आयात करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात ने साल 2014 में रेत और कंकड़ आयात करने के लिए 45.6 करोड़ डॉलर खर्च किए थे। एक साइंस जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा रेत खनन होने की वजह से अब पर्यावरण और समुद्री जीवों तक पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। केरल की पंपा, मणिमाला और अचनकोविल जैसी प्रमुख नदियों के किनारे हो रहे रेत खनन की वजह से जलस्तर कम हो रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समुद्री तटों पर हो रहे रेत खनन की वजह से मछली, डॉल्फिन, मगरमच्छ जैसे जानवरों की कई प्रजातियों पर प्रतिकूल असर हो रहा है। बता दें कि कॉन्क्रीट, सडक़ें, शीशा और इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए रेत का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है। भूमि सुधार परियोजनाओं, शेल गैस निष्कर्षण जैसे कामों के लिए बड़ी मात्रा में रेत खनन होता है। हाल ही में अमरीका के ह्यूस्टन, भारत, नेपाल और बांग्लादेश में आई बाढ़ की वजह से भी दुनिया भर में रेत की मांग बढ़ेगी।
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