कहते हैं कि कबाड़ में भी कभी-कभी खजाना निकल आता है। बरसों से कबाड़ की तरह पड़ी इस बस के अंदर जो मिला, वह भी किसी खजाने से कम नहीं था।
लोग नज़रअन्दाज़ कर देते थे-
फ्लोरिडा के एक मैदान में 1953 मॉडल की यह पीली वैगाबोन्ड करीब 60 सालों से बेकार खड़ी धूल खा रही थी। दो से तीन पीढ़ियां इसके सामने से यूं ही गुजरती रहीं। इसे खटारा समझ कर किसी ने कभी इसके अंदर झांकने की जहमत तक नहीं उठाई। अगर कोई कभी भूले भटके भी इसमें चला जाता, तो इसका राज कबका खुल चुका होता। मगर इस बस को अपने अच्छे दिनों के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा।
हैरान कर देने वाला था अंदर का नजारा-
इस बस का राज तब खुला, जब साल 2003 में इसे हेनरी वल्लास नाम के एक शख्स ने खरीदने का फैसला किया। दरअसल एक दिन वह घूमते घूमते इस बस के अंदर चला गया था। अंदर जाकर उसने जो देखा, तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। उसने सोचा था कि बस के अंदर कुछ पुराने कबाड़ के अलावा कुछ नहीं होगा, लेकिन अंदर का नजारा बहुत हैरान कर देने वाला था।
ऐसा क्या था बस में?
छह दशक पुरानी इस बस में एक पूरा का पूरा घर बसा हुआ था। बेडरूम से लेकर लिविंग रूम और किचन से लेकर बाथरूम तक सब मौजूद था। 1950 के दशक के सामान और फर्नीचर अभी भी अच्छी हालत में थे, जिन्हें साफ-सफाई करवा कर दोबारा उपयोग में लाया जा सकता था।
इतना ही नहीं, बस में मौजूद 60 साल पुराने फ्रिज और स्टोव अभी तक काम कर रहे थे। यह कोई ऐसा वैसा नहीं, बल्कि एक बेहद आलीशान घर था।
कबाड़ के दाम पर खरीदी गई इस बस के नए मालिक की तो मानो किस्मत ही खुल गई थी। उसने इसे डेंट पेंट करा कर बिल्कुल नया-सा बना दिया। जब उसने इसकी तस्वीरें सोशल साइटस पर डालीं, तो वे बहुत वायरल हुई थीं।
साथ ही लोगों को सोचने पर मजबूर भी कर रही थीं कि कभी-कभी धूल के नीचे कितनी खूबसूरती छुपी होती है... हम उसे देख क्यों नहीं पाते हैं? वो धूल हम क्यों नहीं हटाते हैं?