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डब्‍लूएचओ का दावा, देश में प्रदूषण ने एक लाख से अधिक बच्‍चों की जान ली

locationनई दिल्लीPublished: Oct 30, 2018 11:21:32 am

जहरीली होती हवा के कारण पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में देश सबसे आगे है

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डब्‍लूएचओ रिपोर्ट: भारत में पांच साल से कम के बच्‍चे जहरीली हवा के सबसे ज्‍यादा शिकार

नई दिल्‍ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍लूएचओ) ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत सहित निम्न और मध्यम आय-वर्ग वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे 2016 में वायु प्रदूषण के शिकार हुए। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2016 में घरेलू और सामान्‍य वायु प्रदूषण की वजह से 15 साल से कम उम्र के तकरीबन छह लाख बच्चों की मौत हुई। इनमें करीब 1,10,00 बच्‍चों की मौत अकेले भारत में हुई है।
98 फीसदी बच्‍चे प्रदूषण से प्रभावित
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में वायु प्रदूषण एवं बाल स्वास्थ्य: साफ हवा का नुस्खा में कहा गया है कि भारत समेत निम्न और मध्यम आय-वर्ग वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे 2016 में अतिसूक्ष्म कण (पीएम) से पैदा वायु प्रदूषण के शिकार हुए। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि खाना पकाने से घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण और घर के बाहर के वायु प्रदर्शन से दुनिया भर में भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में बच्चों के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा है। वैश्विक स्तर पर दुनिया भर के 18 साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे डब्ल्यूएचओ वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश के सामान्य स्तर से ऊपर के स्तर पर घर से बाहर पीएम-2.5 से जूझ रहे हैं। इनमें पांच साल की उम्र के 63 करोड़ बच्चे और 15 साल से कम उम्र के 1.8 अरब बच्चे हैं।
भारत में स्थिति खतरनाक
दूसरी तरफ ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में प्रदूषण की स्थिति बहुत भयावह है। रिपोर्ट के मुताबिक नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन के विश्व के तीन सबसे बड़े हॉटस्पॉट भारत में हैं। इन हॉट स्‍पॉटों में दिल्ली-एनसीआर भी शामिल है। पीएम 2.5 और ओजोन के निर्माण के लिए नाइट्रोजन ऑक्साइड जिम्मेदार होता है। बता दें कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता लगातार खराब होने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पेट्रोल के 15 साल पुराने और डीजल के 10 साल पुराने वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया।

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