RBI गवर्नर की नियुक्ति से संबधित जानकारी देने से सरकार ने किया इंकार, कहा – नहीं दे सकते जानकारी
SC ने पिछली सुनवाई में किया था समर्थन
बता दें कि इससे पहले वर्ष 2017 के जुलाई में इस मामले में सुनवाई करते हुए इस पहली बार पारदर्शिता कानून के भीतर मुख्य न्यायाधीश के पद का समर्थन किया। जस्टिस अरुण मिश्रा और अमितवा रॉय की पीठ ने न्यायपालिका के अधिकारों की व्याख्या करते हुए कहा था कि सभी संवैधानिक अधिकारियों के कार्यालयों को उनके कार्यो में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के लिए आरटीआई कानून के तहत लाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि विशेष रूप से मुख्य न्यायाधीशों और राज्यपाल के कार्यालयों को आरटीआई अधिनियम के दायरे के तहत लाया जाना चाहिए। बता दें कि गोवा गवर्नर ऑफिस को पब्लिक अथॉरिटी घोषित करने के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। हालांकि तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने दलील थी कि संवैधानिक अधिकारियों ने कार्यों का निर्वहन किया है इसलिए उन्हें आरटीआई अधिनियम के तहत आने से छूट दी जानी चाहिए।
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