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RTI के दायरे में मुख्य न्यायाधीश का पद आता है या नहीं? SC में सुनवाई आज

locationनई दिल्लीPublished: Mar 27, 2019 10:13:57 am

Submitted by:

Anil Kumar

सुप्रीम कोर्ट बुधवार को इस विषय पर गौर करेगी कि चीफ जस्टिस का पद आरटीआइ कानून के दायरे में आता है या नहीं।
2017 में सुनवाई के दौरान दो जजों की बैंच ने माना था कि न्यायाधीशों और राज्यपाल के कार्यालयों को RTI के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट

RTI के दायरे में मुख्य न्यायाधीश का पद आता है या नहीं? SC में सुनवाई आज

नई दिल्ली। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत देश के हर नागरिक को यह अवसर दिया गया है कि वह जनप्रतिनिधियों और शासन-प्रशासन से अपने अधिकारों और सूचनाओं की जानकारी हासिल कर सके। लेकिन इसके अंतर्गत अभी कई खामियां हैं, जिनको लेकर लगातार बहस जारी है। इसी में से एक है क्या देश के मुख्य न्यायाधीश का पद भी इस कानून के दायरे में आते हैं? इसी को लेकर आज यानी बुधवार को देश की सर्वोच्च अदालत सुनवाई करने वाली है।

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SC ने पिछली सुनवाई में किया था समर्थन

बता दें कि इससे पहले वर्ष 2017 के जुलाई में इस मामले में सुनवाई करते हुए इस पहली बार पारदर्शिता कानून के भीतर मुख्य न्यायाधीश के पद का समर्थन किया। जस्टिस अरुण मिश्रा और अमितवा रॉय की पीठ ने न्यायपालिका के अधिकारों की व्याख्या करते हुए कहा था कि सभी संवैधानिक अधिकारियों के कार्यालयों को उनके कार्यो में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के लिए आरटीआई कानून के तहत लाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि विशेष रूप से मुख्य न्यायाधीशों और राज्यपाल के कार्यालयों को आरटीआई अधिनियम के दायरे के तहत लाया जाना चाहिए। बता दें कि गोवा गवर्नर ऑफिस को पब्लिक अथॉरिटी घोषित करने के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। हालांकि तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने दलील थी कि संवैधानिक अधिकारियों ने कार्यों का निर्वहन किया है इसलिए उन्हें आरटीआई अधिनियम के तहत आने से छूट दी जानी चाहिए।

 

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