आर्टिकल 35A को हटाने की मांग इसलिए की जा रही है क्योंकि इस अनुच्छेद को संसद के द्वारा लागू नहीं किया गया। जानिए इससे जुड़ी पूरी जानकारी।
जानिए क्या है आर्टिकल 35A और क्यों है यह चर्चा में
नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आर्टिकल 35A को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई तीन सप्ताह के लिए टाल दी। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने वाले आर्टिकल 35A पर सुप्रीम कोर्ट अब आगामी 27 अगस्त को सुनवाई करेगा। इस आर्टिकल को लेकर उठे विवाद पर देश में चर्चा छिड़ चुकी है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर आर्टिकल 35A क्या है?
जानिए आर्टिकल 35A की पूरी कहानी सन 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश से संविधान में आर्टिकल 35A को जोड़ा गया था। आर्टिकल 35A या अनुच्छेद 35A को लागू करने के लिए उस वक्त की केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 के तहत मिलने वाली शक्तियों का इस्तेमाल किया गया। धारा 370 कानून में प्रावधान है कि जम्मू-कश्मीर के आधिकारिक क्षेत्र के बाहर का निवासी इस राज्य में संपत्ति नहीं खरीद सकता। इतना ही नहीं, इस कानून में यह नियम भी है कि प्रदेश से बाहर का निवासी कोई भी व्यक्ति यहां की राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का फायदा नहीं उठा सकता और न ही प्रदेश में सरकारी नौकरी हासिल कर सकता है।
जानिए क्या हैं आर्टिकल 35A के विरोध के कारण आर्टिकल 35A का विरोध करने वाले इसके दो प्रमुख कारण बता रहे हैं। विरोध करने वालों की पहली दलील है कि आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर में अन्य राज्यों के हिंदुस्तानी नागरिकों को स्थायी नागरिक मानने से रोकता है। जबकि दूसरी दलील है कि इसकी वजह से अन्य राज्यों के नागरिक न तो जम्मू-कश्मीर में नौकरी पा सकते हैं और न ही संपत्ति खरीद सकते हैं। इतना ही नहीं अगर इस राज्य की लड़की किसी अन्य राज्य में शादी कर लेती है तो वो भी यहां पर संपत्ति के अधिकार से अलग हो जाती है। यह संविधान में अलग से जोड़ा गया है जो विरोध का कारण है।
आर्टिकल 35A के समर्थकों का तर्क एक तरफ जहां इसका विरोध हो रहा है, कई ऐसे दल-लोग भी हैं जो इसका समर्थन कर रहे हैं और इसके समर्थन में प्रदर्शन भी कर रहे हैं। आर्टिकल 35A का समर्थन करने वालों में नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस और सीपीएम शामिल हैं। उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती की पार्टियों समेत अन्य दलों ने इसके बरकरार रहने को लेकर प्रदर्शन भी किया है। उनकी मांग है कि आर्टिकल 35A को यूं ही जारी रहना चाहिए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि इस आर्टिकल को हटाने के मामले पर खुली बहस हो। पार्टी के नेताओं के मुताबिक आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर के हित में नहीं है।
यह लोग हैं जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर का संविधान सन 1956 में बनाया गया था। इसी के तहत स्थायी नागरिकता की परिभाषा भी तय की गई थी। राज्य के संविधान के मुताबिक जो व्यक्ति 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा था और उसने कानूनी ढंग से यहां संपत्ति का अधिग्रहण किया हो, वो ही यहां का स्थायी नागरिक है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति 10 वर्षों से इस राज्य में रह रहा हो या फिर 1 मार्च 1947 के बाद राज्य से माइग्रेट होकर (मौजूदा पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में) चले गए हों, लेकिन प्रदेश में वापस बसने के परमिट के साथ लौटें हों।
क्यों हो रही हटाने की मांग? आर्टिकल 35A को हटाने की मांग इसलिए की जा रही है क्योंकि इस अनुच्छेद को संसद के द्वारा लागू नहीं किया गया। इसके अलावा यह आर्टिकल पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को आज भी राज्य के मूल अधिकारों और पहचान से अलग रखता है।