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रेप पीड़िता के खिलाफ जारी हुआ था फतवा, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में ही कर दिया बैन

Published: Aug 30, 2018 10:06:43 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

नाबालिग बच्ची से रेप को बाद बलात्कारी से निकाह नहीं करने पर उसके खिलाफ फतवा जारी हुआ था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूरे राज्य में ही फतवे पर प्रतिबंध लगा दिया।

Uttarakhand High Court declared illegal fatwa in state

रेप पीड़िता के खिलाफ जारी हुआ था फतवा, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में ही कर दिया बैन

नई दिल्ली। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एकबार फिर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए प्रदेश में हर तरह के फतवे पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने धार्मिक संस्थाओं, संगठनों, पंचायतों, स्थानीय पंचायतों और जन समूहों द्वारा फतवा जारी करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने फतवे को गैर संवैधानिक करार देते हुए इसे व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के खिलाफ करार दिया।

दुष्कर्म की शिकार नाबालिग के लिए जारी हुआ था फतवा

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की पीठ ने यह प्रतिबंध हरिद्वार के एक गांव में नाबालिग से रेप के बाद जारी हुए फतवे के बाद दी है। दरअसलनाबालिग युवती से दुष्कर्म के बाद गर्भवती होने और दबंगों के खिलाफ मुंह खोलने पर पंचायत ने पीड़िता को गांव से बाहर करने का फतवा जारी किया था। कोर्ट ने पंचायत के फतवे जारी करने को गंभीर माना और कहा कि पीड़िता के साथ सहानुभूति व्यक्त करने के बजाय परिवार को गांव से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।

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कोर्ट ने पंचायतों को लगाई कड़ी फटकार

अदालत ने कहा कि फतवे के लिए संविधान में कोई जगह नहीं है। अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि पंचायतों को फतवा जारी करने के बजाय पंचायती राज अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। उन्हें फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है। खंडपीठ ने फतवे गैर कानूनी घोषित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेशों का हवाला भी दिया।

मीडिया रिपोर्ट पर लिया स्वत: संज्ञान

खंडपीठ ने हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को पीड़िता और उसके परिवार को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। दरअसल एक वकील ने समाचार पत्र में छपी इस मामले की जानकारी खंडपीठ को दी थी। खंडपीठ ने इस मामले को तुरंत कार्यवाही की और स्वत: संज्ञान लेते ही इस मामले में जनहित याचिका दायर कर ली।

इस मामले के बाद आया हाईकोर्ट का फैसला
अधिवक्ता ने खंडपीठ को बताया कि रूड़की के एक गांव में दबंगों के खिलाफ मुंह खोलने पर दुष्कर्म से पीड़ित युवती को परिवार समेत गांव से बाहर करने का फतवा जारी किया गया है। मामले के अनुसार एक परिवार के युवक ने अप्रैल 2018 में गांव की एक नाबालिग युवती के साथ दुराचार किया। युवती के गर्भवती होने का पता चलने पर मामले के निपटारे के लिये गांव में पंचायत बुलाई गई। जिसमें आरोपी ने पीड़िता के साथ निकाह करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद पंचायत ने पीड़िता एवं उसके परिवार के खिलाफ फतवा जारी कर दिया कि अगर पीड़ित युवती इस मामले की शिकायत करती है तो उसे परिवार सहित गांव से निकाल दिया जाएगा। खंडपीठ ने आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने के भी निर्देश जारी किए हैं।

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