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1233 दागी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ केंद्र के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार पूरी तैयारी और पुख्‍ता जानकारी के साथ अदालत में हलफनामा दाखिल करे।

Sep 12, 2018 / 10:46 am

Dhirendra

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1233 दागी जनप्र‍िनिधियों के खिलाफ केंद्र के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों को लेकर सख्‍त रुख अपनाने के बाद केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर किया है। केंद्र के हलफनामे पर शीर्ष अदालत आज सुनवाई करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दागी सांसदों व विधायकों के खिलाफ जारी आपराधिक मामलों का शीघ्र निस्‍तारण करने के लिए विशेष कोर्ट गठित करने के साथ जरूरी फंड जारी करने को कहा था।
फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में लंबित 1097 मामले
हलफनामे के जरिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अभी तक दिल्ली समेत 11 राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक सांसदों और विधायकों के खिलाफ 1233 केस 12 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों में भेजे गए हैं। अभी तक 136 केसों का निपटारा करने में इन अदालतों को सफलता मिली है। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दायर 1097 मामले अलग-अलग अदालतों में लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा था कि सरकार की तैयारी अधूरी है। बेहतर यही होगा कि सरकार पूरी तैयारी और स्पष्ट जानकारी के साथ अदालत के सामने हलफनामा दाखिल करे। लंबित मामलों का तय समय के अंदर निपटारा तभी संभव है जब सरकार इन मामलों में तत्‍परता दिखाए।
बिहार में सबसे ज्यादा दागी जनप्रतिनिधि
जानकारी के मुताबिक बिहार में सांसदों और विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा 249 आपराधिक मामले लंबित हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर केरल है। वहां 233 जनप्रतिनधियों के खिलाफ आपराधिक मामले विचाराधीन हैं। पश्चिम बंगाल में 226 केस लंबित हैं। कई राज्यों से डेटा आना बाकी है। वर्तमान में देश भर में दागी जनप्रतिनिधियों के मामलों का निपटारा करने के लिए 12 फास्ट ट्रैक अदालतों में छह सत्र न्यायाधीश और पांच मजिस्ट्रेट कोर्ट हैं।
12 अदालतों के गठन को दी थी मंजूरी
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए 12 विशेष अदालतों के गठन के लिए केंद्र सरकार की योजना को मंजूरी दे दी थी। स्पेशल कोर्ट के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7.80 करोड़ रुपए राज्यों को रिलीज करने को कहा था। ताकि अदालतों का गठन हो सके। कोर्ट ने एक मार्च तक विशेष अदालत गठित करने और उनके काम शुरू करने का आदेश सुनाया था।

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