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सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से किया इनकार
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता अफगान नागरिक हबीबी उल्ला शाइदा को फैमली कोर्ट में जाने के लिए कहा है। वहीं, हबीबी उल्ला के वकील सुलेमान एम खान ने कोर्ट से कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर उसकी याचिका खारिज कर दी कि उनका बच्चा अपने पिता से मिलना नहीं चाहता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब नाबालिग बच्चा मां के पास है तो कोर्ट इस मामले में हैबियस कॉरपस याचिका नहीं स्वीकार कर सकता।
याचिककर्ता का दावा उसकी पत्नी अनपढ़ है
वहीं, इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दावा करते हुए कहा कि उसके मुवक्किल की पत्नी पढ़ी-लिखी नहीं है, ऊपर से वह विदेश में है और वो भी दो नाबालिग बच्चों के साथ। वकील ने कहा कि मां के पास आमदनी का कोई स्त्रोत नहीं है। वह भारत में रिफ्यूजी की तरह रह रही है। दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी है कि वह इस मामले का निपटारा उनके देश अफगानिस्तान ट्रांसफर कर दे ताकि उनकी अदालत की ओर से इस मुद्दे पर फैसला किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता फैमिली कोर्ट जाए
याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा कि विदेशी नागरिकों का भी मानवाधिकार होता है, लेकिन पीठ ने वकील की एक भी दलिल नहीं सुनी और याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह फैमली कोर्ट जाए।
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क्या है पूरा मामला…
गौरतलब है कि पीछले साल हबीबी उल्लाह शाइदा अपनी पत्नी व दो नाबालिग बच्चों के साथ टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था। अफगानी पति-पत्नी दिल्ली के कालकाजी के इलाके में रह रहे थे। लेकिन 2017 में उसकी पत्नी अपने दो बच्चों को लेकर पार्क जाने के बहाने कहीं चली गई फिर वापस घर लौट कर नहीं आई। पति ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति के बहकावे में आकर उसकी पत्नी ने ऐसा काम किया है। लेकिन अब वह व्यक्ति उसे छोड़ कर चला गया है और वह भारत में रिफ्यूजी की तरह रह ही है। उसके पास बच्चों की परवरिश के लिए कोई स्त्रोंत नहीं है।