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फोन या सार्वजनिक स्थान पर SC/ST के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहना अपराध : सुप्रीम कोर्ट

सार्वजनिक स्थानों या फोन पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करना अपराध

Nov 19, 2017 / 04:36 pm

Rajkumar

supreme court

नई दिल्ली: एससी और एसटी संबंधित एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सार्वजनिक स्थानों या फोन पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करना अपराध माना जाएगा। इसके लिए अधिकतम पांच जेल की सजा हो सकती है।

दरअसल जस्टिस जे चेलामेश्वर और एस अब्दुल नजीर की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 17 अगस्त के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। क्योंकि हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रहने वाले व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी थी। जिसने अपने खिलाफ एक महिला द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। व्यक्ति पर आरोप है कि उसने फोन पर अजा/अजजा श्रेणी की एक महिला के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

वकील ने कोर्ट में दिया ये दलील

वहीं दो जजों के बेंच ने कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी कि आरोपी व्यक्ति को सुनवाई के दौरान यह साबित करना होगा कि उसने महिला से सार्वजनिक स्थल से बात नहीं की थी। वहीं इस मामले में आरोपी पक्ष के वकील विवेश विश्नोई ने कहा कि पहली बात की यह एक प्राइवेट बातचीत थी। महिला और उनके मुवक्किल ने जब बात की तब दोनों अलग-अलग शहरों में थे। साथ ही उन्होंने कहा कि इस कारण यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी तब सार्वजनिक स्थान पर खड़ा या मौजूद था।

2008 में सार्वजनिक स्थल पर आ चुका है फैसला

वकील विवेश विश्नोई ने आगे कहा कि इस केस में जब दोनों व्यक्ति अलग-अलग शहरों में थे और सारी बातचीत जब फोन पर हो रही है। साथ ही किसी ने नहीं देखा कि मेरे मुवक्किल सार्वजनिक स्थल पर खड़े हैं। उसके साथ ही एक निजी बातचीत थी। उन्होंने कहा कि वैसे भी 2008 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही तय कर रखा है कि ‘सार्वजनिक स्थल या दृष्टिकोण’ का मतलब क्या है।

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